नीलोफर की सुगंध में भौंरों ने खोया अपना होश
एनटीपीसी शक्तिनगर के आवासीय परिसर स्थित प्रसिद्ध चिल्काझील का आकर्षण झील में तारों की तरह फैले अनगिनत कमल के फूल बढ़ा रहे हैं। डाला छठ के समय निर्मल दिखने वाली झील इन दिनों कमल के फूलों से झिलमिला रही है।
जागरण संवाददाता, शक्तिनगर (सोनभद्र) : भौंरों को मदहोश कर देने की अद्भुत क्षमता समाए कमल के पुष्पों को देखना हो तो इन दिनों शक्तिनगर स्थित चिल्का झील आइए। यहां की फिजा में कमल के फूलों की सुगंध इस कदर बिखरी हुई है कि यहां पहुंचने वाला हर शख्स सिर्फ झील को निहारता रहता है। बस एक चीज की जो कमी जो खल रही है वह है झील के आसपास पर्यटकों के लिए अच्छी सुविधा का न होना।
एनटीपीसी शक्तिनगर के आवासीय परिसर स्थित प्रसिद्ध चिल्काझील का आकर्षण झील में तारों की तरह फैले अनगिनत कमल (नीलोफर) के फूल बढ़ा रहे हैं। डाला छठ के समय निर्मल दिखने वाली झील इन दिनों कमल के फूलों से झिलमिला रही है। झील में सुबह, शाम टहलने आने वाले लोगों को कमल के फूल व कलियां अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। कीचड़ में खिलने वाला कमल जहां अपने आकर्षण से कीचड़ युक्त स्थान की बुराइयों को छिपा कर सुन्दरता का आवरण बिखेर देता है। वहीं उस स्थान का महत्व भी बढ़ा देता है। यही स्थिति इन दिनों चिल्काझील की बन गयी है। बरसात के कारण इन दिनों झील प्रागंण में चारों ओर बड़ी-बड़ी घासें व झाड़ियां फैली हैं। वहीं झील के पानी में मछलियों के साथ-साथ पानी में पैदा होने वाले ¨सघाड़े के पेड़ व पत्ते तैर कर झील के पानी के रंग को बदरंग कर दिए हैं। झील के कीचड़ में से पैदा हुए हजारों कमल के पेड़ अपने कलियों व फूलों से पूरे झील का आकर्षण बढ़ा दिए हैं।
झील में संविदा पर मछली पालन करने वाले संविदा कार का कहना है कि झील में कमल के अतिरिक्त फैले ¨सघाड़े के पौधों से मछलियों का नुकसान हो रहा है। किन्तु कमल के फूल से झील की सुन्दरता बढ़ गयी है। झील प्रागंण में बरसात के समय बढ़े घास-फूस की कटाई-छटाई का कार्य प्रारम्भ हो गया है। डाला छठ पर्व के पहले झील की सफाई कर उसके पानी को भी निर्मल बना दिया जायेगा। जो भी हो इन दिनों तो झील में झिलमिलाते कमल के फूल व झील से निकलने वाले सिघाड़े के फल लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।