उद्गम स्थल पर ही अस्तित्व को जूझ रही बेलन नदी
जागरण संवाददाता, सोनभद्र: अनियोजित जल दोहन व मूल स्वरूप के साथ निरंतर छेड़छाड़ के कारण जनपद से प्रवाहित होने वाली नदियों की स्थिति अत्यंत दयनीय है।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र: अनियोजित जल दोहन व मूल स्वरूप के साथ निरंतर छेड़छाड़ के कारण जनपद से प्रवाहित होने वाली नदियों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। सर्वाधिक ¨चताजनक स्थिति सोनभद्र से निकलने वाली बेलन नदी की है। वर्तमान में स्थिति यह है कि बेलन अपना अस्तित्व बचाने के लिए ही संघर्ष कर रही है। बिल्कुल सूखने के कगार पर पहुंच चुकी नदी की जलधारा को वापस लाने के लिए सदर विधायक भूपेश चौबे द्वारा जल जनजागरण के माध्यम से इसी वर्ष पर्यावरण दिवस से पहल की गयी है। इसका क्या परिणाम निकलेगा यह भविष्य के गर्भ में है।
पूर्वाचल के अन्य जिलों में बेलन नदी को टोंस के नाम से जाना जाता है। इसका उद्गम स्थल सोनभद्र के चतरा ब्लाक अंतर्गत करद गांव है। एक दशक पूर्व तक वर्ष पर्यंत जलधारा की कल-कल ध्वनि से लोगों का मन मोहने वाली नदी वर्तमान में बदहाली के कगार पर पहुंच गई है। स्थिति यह है कि नदी में पानी का एक बूंद भी नहीं शेष रह गया है। स्थिति देख विश्वास नहीं होता कि बरसात में बेलन की बाढ़ जनपद में व्यापक तबाही मचाती है। नदी के सूख जाने के कारण इसके इर्द-गिर्द स्थित गांवों में भी व्यापक जल संकट उत्पन्न हो गया है। जनपद से प्रवाहित होने वाली सोन, कर्मनाशा, कनहर, बिजुल, रेड़, मलिया, लउआ आदि नदियों की दशा भी अत्यंत खराब है।