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सोनभद्र में शिक्षा के साथ धनुर्विद्या में पारंगत हो रहे सेवाकुंज आश्रम के छात्र, गुरुकुल परंपरा को रखा कायम

यूपी के सोनभद्र जिले के सुदूर जंगलों में बसा सेवाकुंज आश्रम ने आधुनिक शिक्षा के साथ अपनी परंपरा को भी कायम रखा है। छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे प्रदेश के सोनभद्र के चपकी गांव की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर है।

By Prashant Kumar ShuklaEdited By: Saurabh ChakravartyPublished: Thu, 24 Nov 2022 10:56 PM (IST)Updated: Thu, 24 Nov 2022 10:56 PM (IST)
सोनभद्र में शिक्षा के साथ धनुर्विद्या में पारंगत हो रहे सेवाकुंज आश्रम के छात्र, गुरुकुल परंपरा को रखा कायम
सेवाकुंज आश्रम में तीरंदाजी का अभ्यास करते छात्र

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : जनपद के सुदूर जंगलों में बसा सेवाकुंज आश्रम ने आधुनिक शिक्षा के साथ अपनी परंपरा को भी कायम रखा है। छत्तीसगढ़ की सीमा से सटे प्रदेश के सोनभद्र के चपकी गांव की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर है। बभनी ब्लाक में स्थित इस गांव में एक संस्था ऐसी है, जिसने आदिवासी बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ ही गुरुकुल संस्कृति से जोड़ रखा है।

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यहां बात हो रही है चपकी गांव में स्थित सेवाकुंज आश्रम की। आश्रम में देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, राज्यपाल आनंदी बेन व दो बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक आ चुके हैं और यहां के गुरुकुल परंपरा की खुले कंठ से उन्होंने तारीफ भी की है। यह आश्रम करीब वर्ष 2000 में स्थापित किया गया। यहां गोड़, खरवार, चेरो, मांझी, धरिकार, मुसहर समेत करीब दर्जन भर से अधिक आदिवासी परिवारों के बच्चे गुरुकुल परंपरा के तहत शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

शिक्षा के साथ ही इस आश्रम में भारतीय खेलों को विशेष महत्व दिया जाता है। खासकर इस आश्रम के बच्चे तीरंदाजी में पारंगत हो रहे हैं। यहां तीरंदाजी बच्चों को सिखाई जाती है। मुख्यमंत्री ने इस विद्यालय को हास्टल आदि सुविधा देने का वादा भी किया है। सह संगठन मंत्री आनंद का कहना है कि इस संस्थान में शिक्षा ग्रहण करने वालों को या उनके स्वजनों को कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। यहां यूपी व छत्तीसगढ़ के करीब 250 आदिवासी बच्चे अध्ययनरत हैं।

राष्ट्रीय यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में भी लिया भाग

सेवाकुंज आश्रम में रहकर तीरंदाजी का अभ्यास करने वाले दो बच्चों का चयन पिछले वर्ष राष्ट्रीय यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप मोहाली के लिए किया गया था। इसमें कमलेश खोतो महुआ और दूसरा अर्जुन इकदीरी गांव ने बेहतर प्रदर्शन किया था। इसके अलावा मंडल व राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भी कई छात्र अपना लोहा मनवा चुके हैं। आनंद ने बताया आश्रम में आधुनिक शिक्षा के साथ गरुकुल परंपरा को जिंदा रखा गया है। बताया कि वर्तमान समय में आश्रम के 40 छात्र तीरंदाजी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

शिक्षा के साथ संस्कार पर दिया जाता है जोर

आश्रम के सह संगठन मंत्री आनंद ने बताया कि आदिवासी बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार दिया जाता है। गुरुकुल शिक्षा देने के साथ ही उन्हें कंप्यूटर व सिलाई भी सिखाई जाती है। इतना ही नहीं आदिवासी परंपरा को कायम रखने के लिए परंपरागत गीत, नृत्य बढ़ाने का कार्य कर रहे है। टीम के जरिए करमा, शैला, डोमकच, झूमर आदि को बढ़ावा दे रहे हैं ताकि आदिवासी संस्कृति जिंदा रहे। पूजा पद्धति, परंपरा को आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं।


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