अनपरा के संविदाकार को सीबीआई ले गयी सिक्किम
सिक्किम से आई सीबीआइ की टीम ने गुरुवार को अनपरा के एक संविदाकार को हिरासत में लेकर शिलांग के लिए रवाना हुई। अनपरा लालटावर निवासी संविदाकार रंजित गुप्ता पुत्र स्व. अशोक गुप्ता लार्सन एण्ड ट्यूर्बो (एलएण्डटी) के ठेकेदार हैं। विभिन्न प्रांतों में एनएण्डटी से जुड़े कार्यों को इनके द्वारा कराया जाता रहा है।
जागरण संवाददाता, अनपरा (सोनभद्र) : सिक्किम से आई सीबीआइ की टीम ने गुरुवार को अनपरा के एक संविदाकार को हिरासत में लेकर शिलांग के लिए रवाना हुई। अनपरा लालटावर निवासी संविदाकार रंजित गुप्ता पुत्र स्व. अशोक गुप्ता लार्सन एण्ड ट्यूर्बो (एलएण्डटी) के ठेकेदार हैं। विभिन्न प्रांतों में एनएण्डटी से जुड़े कार्यों को इनके द्वारा कराया जाता रहा है।
सूत्रों के मुताबिक सिक्किम स्थित सरकारी कालेजों से जुड़कर रंजीत गुप्ता करोड़ों रुपये का फर्जी भुगतान लिया था। जिसका मामला वहां सीबीआइ कोर्ट में गत तीन वर्षों से चल रहा था। मामले में रंजीत के खिलाफ दो बार गैर जमानती वारंट जारी हुआ था। रंजीत गुप्ता स्वयं के साथ अनपरा के आधा दर्जन ठेकेदारों के कागजात पर सिक्किम के सरकारी कालेज का कोटेशन देता था। जिसके एवज में सरकारी कालेज से ठेकेदारों के खाते में भुगतान आता था। रंजीत अनपरा के ठेकेदारों से 20 फीसदी कमीशन देकर शेष पैसे उनसे ले लेता था। यह मामला सिक्किम के सीबीआइ कोर्ट में पहुंचा। जहां से कोटेशन देने वाले अनपरा के ठेकेदारों से पूर्व में सीबीआइ ने सख्ती से पूछताछ की तो पता चला कि रंजीत गुप्ता बड़े पैमाने पर जालसाजी कर रहा है। सीबीआइ कोर्ट में अनपरा के अन्य संविदाकारों ने कोटेशन के बाबत सारी जानकारी देते हुए रंजीत गुप्ता को मूल आरोपी बताकर सरकारी गवाह बन गए। जिसके बाद सीबीआइ ने रंजीत के खिलाफ दो बार गैर जमानती वारंट जारी किया। फिर भी रंजीत कोर्ट नहीं पहुंचा। विवश होकर सीबीआइ ने गुरुवार को रंजीत के घर पहुंच कर हिरासत में ले लिया। वहां से भी रंजीत ने भागने की कोशिश की। टीम ने आरोपी को लेकर जिला चिकित्सालय में मेडिकल कराकर फ्लाइट से सिक्किम के लिए रवाना हो गई।ठीकेदार ने छिपा दिया सागौन के कई बोटे
जासं, गोविदपुर (सोनभद्र) : म्योरपुर ब्लाक के स्थानीय कस्बा स्थित हवाई पट्टी के पुराने चाहरदीवारी के पास बिना अनुमति के काटे गए 15 सागौन के पेड़ को लेकर तहसील प्रशासन सवाल के घेरे में है। लेखपाल ने सागौन के बोटे जिस जगह रखे गए थे उसका खुलासा गुरुवार को किया। उन्होंने दावा किया कि एक ठीकेदार ने लकड़ी लेने के लिए 25 हजार रुपये देने की बात कही है, लेकिन अधिक बोली लगाने वाले व्यक्ति को ही बोटा दिया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि जिस ठीकेदार को पेड़ काटने की अनुमति दी गई थी, उसने अधिकतर बोटे को कहीं छिपा दिया है। ताकि राजस्व विभाग को उसे कम रकम देनी पड़े। लेखपाल सुरेंद्र नाथ पाठक ने कहा कि जो सागौन के पेड़ काटे गए थे, वह पहले से ही काफी कमजोर थे, इसलिए उसमें से अधिक बोटे नहीं निकले।