दुकानदार पॉलीथिन से बना रहे दूरी, दंड का सता रहा भय
सोनभद्र: कुछ भी हो, प्रदेश सरकार के निर्देशों के पालन में जिला प्रशासन की सख्ती काम आने लगी है।
सोनभद्र: कुछ भी हो, प्रदेश सरकार के निर्देशों के पालन में जिला प्रशासन की सख्ती काम आने लगी है। पर्यावरण की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों का परिणाम बाजार जाने वाले लोगों में अहसास होने लगा है। ग्राहक ने सामान को पॉलीथिन में रखने की बात कही तो दुकानदार ने ऐसा करने से मना कर दिया। उधर कुछ स्थानों पर पॉलीथिन में ही सामान को दिया गया।
बहरहाल, कानूनी शिकंजा कसने से पहले की स्थिति से अब पॉलीथिन आवक कम दिखने लगी है। कूड़ों के ढेर में पॉलीथिन की मात्रा कम हुई है। ज्यादा नहीं तो बहुत कम हुई है। आगामी दिनों में इसका और बेहतर परिणाम दिखने वाला है। प्रदेश सरकार ने पॉलीथिन के उपयोग व बिक्री पर जिस तरह से सजा व अर्थदंड का प्रावधान किया उससे बदलाव आया है। इसी क्रम में विद्यालयों में छात्र-छात्राओं ने संकल्प लेकर पॉलीथिन के उपयोग नहीं करने व कराने का फैसला किया। संत कीनाराम महिला महाविद्यालय की छात्राओं ने शुक्रवार को संकल्प लिया। क्या बोलीं शिक्षिकाएं
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- पॉलीथिन, समाज में कैंसर की तरह घुस चुका है जिससे छुटकारा पाने में भी दर्द हो रहा है। और जाने-अनजाने में लोगों को मार भी रहा है। अब समय आ गया है जिससे छुटकारा पाया जा सके। शासन ने नियम बनाया है तो हमें उसके पालन में आगे आना चाहिए। स्वयं में पॉलीथिन के खिलाफ युद्ध लड़ने की क्षमता का विकास करना होगा। इसी के कारण हम पॉलीथिन से मुक्त हो सकेंगे। - डा सुषमा ¨सह, प्रधानाचार्य। - पॉलीथिन, कई बीमारियों का जड़ है। जमीन बंजर हो रही है तो दूसरी ओर कई समस्याएं भी खड़ी कर रहा है। पालीथिन की उपयोगिता ने बौद्धिक चेतना पर विजय पा लिया है। स्थितियां जब विकराल हुई तब इस पर रोकने का निर्देश जारी हुआ। देर से सही लेकिन, एक नियम तो बना। अब हमारी जिम्मेदारी है कि पालीथिन को जड़ से खत्म करने में अहम भूमिका निभाएं।
- डा गोपाल ¨सह, पीआरओ। - पर्यावरण प्रदूषण में पॉलीथिन की भूमिका अग्रणी है। अब तो घरों से लेकर कार्यालयों तक में पॉलीथिन का कब्जा है। हमारे जीवन के इर्द-गिर्द नाच रहे पालीथिन के नुकसान करने की सच्चाई से मुंह मोड़ लेना हमारे लिए सिरदर्द बन गया है। वाकई हमें अब चैतन्य हो जाना होगा। बच्चों में संस्कार के वो बीज डालने होंगे जिससे पॉलीथिन के जहरीले स्वरूप को जानते ही उनमें घृणा का भाव जाग्रत हो जाए।
- शब्या ¨सह, शिक्षिका - समस्याएं कितनी भी विकराल क्यों न हो। इंसान की इच्छाशक्ति के आगे सभी बौने होते हैं। इसी प्रकार पालीथिन की रोकथाम बहुत बड़ी बात नहीं है। इसे रोकने के लिए हमें जाग्रत होना होगा। अब यह खत्म होकर ही रहेगा।
- मनीषा शुक्ला