होगा जीर्णोद्धार,कुएं फिर पिलाएंगे पानी
भूगर्भ का जलस्तर गिरने और इससे उपजने वाले पेयजल संकट से निपटने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर एक बेहतर प्रयास किया गया। जहां एक ओर सबमर्सिबल का प्रचलन बढ़ा है वहीं कुओं की स्थिति बदतर हुई है। पिछले एक दशक के भीतर गांव के कुओं का अस्तित्व समाप्त ही हो चला है। ऐसे में पेयजल समस्या से पार पाने के लिए एक बार फिर से पीछे की ओर मुड़कर जुगत बनानी पड़ी है। इसमें गांव में दर्जनों पुराने कुओं का जीर्णोद्धार किया गया। कुएं के जगत की सतह इस प्रकार बनाई गई है जिसपर पड़ने वाली पानी की एक बूंद भी कुएं में जाएगी।
जागरण संवाददाता, डाला (सोनभद्र) : भूगर्भ का जलस्तर गिरने और इससे उपजने वाले पेयजल संकट से निपटने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर एक बेहतर प्रयास किया गया। जहां एक ओर सबमर्सिबल का प्रचलन बढ़ा है वहीं कुओं की स्थिति बदतर हुई है। पिछले एक दशक के भीतर गांव के कुओं का अस्तित्व समाप्त ही हो चला है। ऐसे में पेयजल समस्या से पार पाने के लिए एक बार फिर से पीछे की ओर मुड़कर जुगत बनानी पड़ी है। इसमें गांव में दर्जनों पुराने कुओं का जीर्णोद्धार किया गया। कुएं के जगत की सतह इस प्रकार बनाई गई है जिसपर पड़ने वाली पानी की एक बूंद भी कुएं में जाएगी।
जी हां, यह है कोटा ग्राम पंचायत। यहां की कुल आबादी करीब 18 हजार है। यहां हर साल गर्मी में पेयजल की समस्या होती है। इसमें आफत बनती है बारिश की कमी और घटता भूगर्भ जल। गर्मी में हैंडपंप सूख जाते हैं। लोग प्यास बुझाने के लिए मिलों चक्कर लगाते हैं। इस दौर में ही जब सबमर्सिबल समेत अन्य पानी प्राप्त होने के माध्यम मुहैया हुए तो सभी कुएं जर्जर होते चले गए। अब एक बार फिर पानी का संकट उत्पन्न हुआ तो ग्राम पंचायत स्तर से ही उसके विकल्प पर काम शुरू हुआ। वहीं चल पड़े जहां जिसको छोड़े थे। अब गांव के एक-एक कुएं की पड़ताल कर उसे पुनर्जीवित किया जा रहा है। ये सब काम राज्य वित्त मद से हो रहा है। विशेष आधार से बना है जगत :
कुएं का जगत एक विशेष तकनीक पर आधारित है। इसका ढलान बाहर की ओर न होकर कुएं की तरफ है। सतह पर जगह-जगह चारों ओर छिद्र बनाया गया है। इससे जगत पर गिरने वाले बारिश के पानी की एक-एक बूंद बाहर न गिरकर कुएं में एकत्र होगी। इस प्रयास से आगामी पीढि़यां अब सुरक्षित रहेंगी। नंगे पैर ग्रामीण भरते हैं पानी :
कुआं से पानी खींचने के लिए लोग नंगे पैर जगत पर चढ़ते हैं। यह स्वच्छता के लिए है। जूता या चप्पल जगत से नीचे रखा जाता है। इसकी सफाई का जिम्मा ग्रामीणों पर ही है। ग्राम पंचायत के अम्माटोला व कोटा में ऐसे 25 कुओं पुनर्जीवित होने से लोगों के चेहरे पर खुशियां झलक रही हैं। आधुनिक जमाने में मोटर का उपयोग कर कुएं का पानी लोग अपने घरों तक ले जा रहे हैं।
--------------------------- बोलीं ग्राम प्रधान..
-बारिश की कमी व दिनोंदिन खिसकते जलस्तर से पेयजल समस्या बढ़ रही थी। इसके समाधान के लिए ग्राम पंचायत में जीर्ण-शीर्ण हो चुके कुओं की नए सिरे से मरम्मत कर पेयजल योग्य बनाया गया है। इससे गर्मी के दिनों में पेयजल की समस्या से जूझ रहे ग्रामीणों को काफी राहत मिलेगी।
-मुरहिया देवी, ग्राम प्रधान कोटा