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तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण टूटती है रेल पटरी

30 दिन में महज बीस किमी के अंतराल पर रेलवे ट्रैक टूटने के चार बड़े वाकए ने न सिर्फ यात्रियों को बल्कि रेलवे महकमे को भी हैरान कर दिया है। हालांकि ट्रैक टूटने की जानकारी फौरन मिलते ही रेलवे द्वारा तत्काल कदम उठाए जाने से अभी तक इस क्षेत्र में कोई हादसा नहीं हुआ है। रेलवे ट्रैक टूटने की घटना को लेकर गंभीर हुआ जागरण ने शनिवार को इसके तह तक जाने का प्रयास किया। किसी बड़े रेलवे अधिकारी से तो बात नहीं हो पाई, ¨कतु जिसके कंधे पर ट्रैक को दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी है, उसने कुछ हैरत करने वाली जानकारी दी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 09:40 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 09:40 PM (IST)
तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण टूटती है रेल पटरी
तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण टूटती है रेल पटरी

जागरण संवाददाता, दुद्धी (सोनभद्र): 30 दिन में महज बीस किमी के अंतराल पर रेलवे ट्रैक टूटने के चार बड़े वाकए ने न सिर्फ यात्रियों को बल्कि रेलवे महकमे को भी हैरान कर दिया है। हालांकि ट्रैक टूटने की जानकारी फौरन मिलते ही रेलवे द्वारा तत्काल कदम उठाए जाने से अभी तक इस क्षेत्र में कोई हादसा नहीं हुआ है। रेलवे ट्रैक टूटने की घटना को लेकर गंभीर हुआ जागरण ने शनिवार को इसके तह तक जाने का प्रयास किया। किसी बड़े रेलवे अधिकारी से तो बात नहीं हो पाई, ¨कतु जिसके कंधे पर ट्रैक को दुरुस्त रखने की जिम्मेदारी है, उसने कुछ हैरत करने वाली जानकारी दी।

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दुद्धी सेक्शन के पीडब्ल्यूआइ मनीराम ने बताया कि इसमें कोई हैरत वाली बात नहीं है। सर्दी के मौसम में रात में तापमान गिरने के कारण इस्पात में सिकुड़न एवं धूप पड़ने के कारण उसमें फैलाव होने लगता है। यह एक रासायनिक क्रिया है। इस वजह से रेल पटरी चटक जाती है। इसके लिए विशेष तौर पर शीतलहर के दौरान सतर्कता बरती जाती है। उनके सेक्शन में रेणुकूट से लेकर ¨वढमगंज तक का करीब पचास किमी का एरिया आता है। कर्मियों द्वारा अलग अलग टीम बनाकर दिन एवं रात में एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच लगभग हर घंटे पैदल गश्त कर ट्रैक का निरीक्षण किया जाता है। कहीं कोई दिक्कत होती है तो तत्काल टीम के पास पर्याप्त संसाधन होते है। वे तत्काल उसकी मरम्मत कर देते हैं। यह सिलसिला समूचे देश में चलता है। उन्होंने एक हैरत करने वाली जानकारी दिया कि दुद्धी से ¨वढमगंज के बीच अब तक घटित घटनाओं में एक बात कामन देखने को मिली है कि जिस स्थान पर ट्रैक टूटने की घटना हुई है, वहां से लोगों का पैदल आना जाना होता है। ट्रैक की स्थिति के बारे में जानकारी दिया कि जब ट्रैक पर गाड़ी का लोड होता है तो वह हिलता है। ट्रैक के नीचे पड़े गिट्टी में मिट्टी का मिश्रण होने से वह ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है। इसके वजह से ट्रेन का ट्रैक पर लोड पड़ने पर वह सामान्य क्रिया में अवरोध उत्पन्न करता है। ट्रैक टूटने का यह भी एक कारण हो सकता है।


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