सवालों के घेरे में डीएमएफ फंड का उपयोग
जासं, अनपरा (सोनभद्र) : जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) के मद में सैकडों करोड़ रुपये का नि
जासं, अनपरा (सोनभद्र) : जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) के मद में सैकडों करोड़ रुपये का नियमावली के विपरीत आवंटन व उपयोग पर उर्जांचलवासियों में आक्रोश व्याप्त है। डीएमएफ को प्रतिवर्ष कोयला, गिट्टी-बालू के खनन व अभिवहन से तीन सौ करोड़ से ज्यादा की धनराशि प्राप्त होती है। डीएमएफ न्यास नियमावली-2017 की प्रस्तर तीन के अनुसार खनिज परिवहन से प्रभावित व्यक्तियों एवं क्षेत्रों के हित तथा उनकी सुविधा के लिए कार्य करना निर्धारित किया गया है। राज्य सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय व एनजीटी में दाखिल अपने शपथ पत्र मे सोनभद्र के 12 कलस्टरों मे स्थित 45 गांवों व मजरों को खनन परिवहन से प्रभावित क्षेत्र माना है।
वर्ष 2015 से डीएमएफ के गठन को लेकर उच्च न्यायालय इलाहाबाद में याचिकाकर्ता पंकज मिश्रा ने बताया डीएमएफ के गठन का मूल उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न विकासात्मक और कल्याणकारी परियोजनाओं का क्रियान्वयन, पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण, स्वच्छता, स्वास्थ्य एवं खनन प्रभावित क्षेत्र के निवासियों की सामाजिक, आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करते हुए दीर्घकालीन टिकाऊ आजीविका सुनिश्चित करना है, लेकिन इसका उपयोग राजनीतिक तुष्टीकरण व सत्ता संतुलन के दृष्टिकोण से किया जा रहा है। उर्जांचल के प्रदूषण प्रभावित क्षेत्र ककरी, रेहटा, गरबन्धा, बांसी, जमशिला, बरवानी, चन्दुआर, घरसडी, कौहरौल, कौहरलिया, मिसिरा, भैरवा, योगीचौरा, मर्रक, खड़िया, चिल्काटांड, परसवार राजा, कोटा, परसवार बाबू, परसवार चौबे, रानीबारी के लोगों को शुद्ध पेयजल आपूर्ति की कोई योजना अब तक मूर्त रूप नहीं ले पाई है। डीएमएफ के मद से गैर प्रदूषण व खनन तथा खनन संक्रियाओ से प्रभावित क्षेत्र डुमरडीहा, दुद्धी में सोलर प्लांट लगाये जाने के लिए तीन सौ करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित किए जाने का प्रस्ताव है। इसको लेकर उर्जांचलवासियों में आक्रोश है। कहा कि यदि डीएमएफ के मद का नियमावली के अनुसार सदुपयोग किया जाय तो गम्भीर प्रदूषण से कराहते व खनन एवं खनन संक्रियाओं के दुष्प्रभाव से प्रभावित उर्जांचल सहित ओबरा, डाला, रेणुकुट की तस्वीर ही बदल सकती है।