निगम ने बिजली उत्पादन में वृद्धि का प्रयास किया तेज
कई पुरानी इकाइयों की बंदी के बाद अब उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम ने बिजली की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए प्रयास तेज कर दिया है।
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : कई पुरानी इकाइयों की बंदी के बाद अब उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम ने बिजली की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए प्रयास तेज कर दिया है। 1320 मेगावाट क्षमता की ओबरा सी और जवाहरपुर तापीय परियोजना का निर्माण शुरू होने के बाद अब पिछले साल से बंद चल रही पनकी तापीय परियोजना को भी जीवनदान देने की कवायद शुरू कर दी गई है। बंद चल रही पनकी परियोजना के विस्तारीकरण के तहत 660 मेगावाट की नई इकाई की स्थापना के लिए वित्तीय स्वीकृत के लिए उत्पादन निगम के निदेशक मंडल ने हरी झंडी दे दी है।
पनकी विस्तार तापीय विद्युत गृह में लगने वाली 660 मेगावाट इकाई के निर्माण कार्य हेतु रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा स्वीकृत ऋण 2326.68 करोड़ को आहरित करने का निगम ने अनुमोदन प्रदान किया है। निगम के आय-व्यय अनुमान में उक्त परियोजना हेतु पर्याप्त धनराशि वर्ष 2018-19 से 2044-45 तक प्राविधानित की जाएगी। उक्त ऋण से संबंधित समस्त प्राविधिक सूचनाएं आंकड़े, सूचियां एवं योजना के लिए सामग्री तथा उपकरणों की सूची क्लेम निर्धारित प्रारूप में प्रस्तुत करने एवं योजना के समय क्रियान्वयन हेतु अधीक्षण अभियंता स्तर के अभियंता को नोडल अधिकारी के रूप में नामांकन हेतु प्रबंध निदेशक को अधिकृत किया गया है। मेमोरेंडम आफ एग्रीमेंट निष्पादन के समय तथा ऋण व अन्य देयों के पूर्ण भुगतान तक उत्पादन निगम लिमिटेड का परियोजना पर फिजिकल पजेशन तथा स्वामित्व रहेगा। उक्त ऋण अनुमोदित वार्षिक योजना प्राविधानों के अनुसार शासकीय बजट प्राविधान के अतिरिक्त होगा। राज्य सरकार द्वारा प्रत्याभूति जारी करने पर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड द्वारा जारी की जाने वाली काउंटर गारंटी को हस्ताक्षर करने हेतु कंपनी सचिव को अधिकृत किया गया है। परियोजना के निर्माण कार्य हेतु उपकरण से संबंधित कार्यों को निर्धारित समय के अंदर पूर्ण कराने हेतु परियोजना प्रबंधन समिति व टास्क फोर्स के गठन हेतु प्रबंध निदेशक को अधिकृत किया गया है। पनकी परियोजना का बचेगा अस्तित्व
गतवर्ष प्रदेश की सबसे पुरानी इकाइयों को बंद करने के चल रही प्रक्रिया के बीच पनकी तापीय परियोजना को बंद कर दिया गया था। इस कारण प्रदेश के लिए ऐतिहासिक रही एक और तापीय परियोजना का अंत हो गया था। निदेशक मंडल ने पनकी के कर्मचारियों को अन्य जगहों पर स्थानांतरित करने के साथ ओएंडएम से जुड़े सभी आदेशों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया था। 1976 में इन इकाइयों को पहली बार ¨सक्रोनाइज किया गया था। अब इसी परियोजना में नई इकाई स्थापित करने से ऐतिहासिक परियोजना का अस्तित्व पुन: बहाल हो जाएगा। उत्पादन निगम के अनुसार पनकी ताप विद्युत गृह की 105 मेगावाट क्षमता वाली इकाई संख्या तीन एवं चार लगभग 40 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुकी थी। इन इकाइयों के काफी पुरानी होने, कम क्षमता एवं पुरानी तकनीकी पर आधारित होने तथा उत्पादन लागत अधिक होने के कारण इनका परिचालन वाणिज्यिक रूप से लाभप्रद नहीं था।