मांग घटते ही दस इकाइयों से बिजली उत्पादन बंद
काफी दिनों हुई बारिश से प्रदेश वासियों को गर्मी से राहत मिली। वहीं बारिश का असर प्रदेश के बिजली घरों में भी महसूस किया गया। इससे प्रदेश के दस बिजली इकाइयों से उत्पादन पूरी तरह बंद करना पड़ा।
जागरण संवाददाता, अनपरा (सोनभद्र) : काफी दिनों के बाद हुई बारिश से प्रदेशवासियों को गर्मी से राहत मिली है। वहीं बारिश का असर प्रदेश के बिजली घरों में भी महसूस किया गया। मौसम में परिवर्तन होने से बिजली की मांग में शुक्रवार को काफी कमी आ गई। इससे प्रदेश के दस बिजली इकाइयों से उत्पादन पूरी तरह बंद करना पड़ा। इसमें चार सरकारी और छह निजी इकाइयां हैं। शुक्रवार को बिजली की मांग दस हजार से 11000 मेगावाट के बीच घूमती रही।
अचानक कम हुई बिजली की मांग के मद्देनजर बंद की गई बिजली परियोजना में हरदुआगंज और पारीछा ए सरकारी परियोजनाएं हैं। वहीं प्राइवेट सेक्टर के बीईपीएल की तीन परियोजनाओं को बंद करने का फैसला किया गया। ताकि बिजली के थ्रोबैक से बचा जा सके। परियोजना के सूत्रों ने बताया कि दस इकाइयां बंद करने के बाद भी करीब 500 मेगावाट बिजली को थ्रोबैक किया जा रहा था। वहीं लगातार बारिश से जलस्तर बढ़ने के बाद शुरू हुई रिहंद जल विद्युत परियोजना से भी उत्पादन को भी बंद कर दिया गया। इस दौरान लगभग सभी उत्पादन परियोजनाओं को उनकी क्षमता से आधे उत्पादन का शिड्यूल दिया गया है। अनपरा की तीनों सरकारी और लैंको से भी थर्मल बै¨कग की गई। हालांकि पीक आवर में अनपरा के सभी बिजली घरों को थर्मल बै¨कग से निजात मिल गई। क्या रही परियोजनाओं से उत्पादन की स्थिति
इस दौरान अलग-अलग परियोजनाओं से बिजली उत्पादन की स्थिति देखें तो अनपरा ए से 330 मेगावाट, अनपरा बी से 540 मेगावाट, अनपरा डी से 700 मेगावाट, ओबरा से 310 मेगावाट, हरदुआगंज डी से 230 मेगावाट और पारीछा की बाकी दोनों इकाइयों से 470 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। वहीं प्राइवेट सेक्टर के अलकनंदा से 200 मेगावाट, बारा से 640 मेगावाट, लैंको से 610 मेगावाट, एलपीजीसीएल से 680 मेगावाट, टांडा से 170 मेगावाट और वीपीआरजी से 390 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा था। पनबिजली परियोजनाओं की तीनों परियोजनाओं को बंद ही रखा गया है।