लॉकडाउन में मसीहा बनकर उभरे डाकिया
दो महीने पहले तक खाताधारकों को जोड़ने के लिए पसीना बहा रहे डाक विभाग के इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक ने लॉकडाउन में जरूरतमंदों के लिए मसीहा बनकर उभरा है।
दीपक शुक्ल सोनभद्र : दो महीने पहले तक खाताधारकों को जोड़ने के लिए पसीना बहा रहे डाक विभाग के इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक ने लॉकडाउन में जरूरतमंदों के लिए मसीहा बनकर उभरा है। डाकियों के जरिए यह बैंक जिले में 19 हजार 976 लोगों तक पहुंच चुका है और उन्हें सरकार की ओर से विभिन्न योजनाओं में दी जाने वाली सहायता राशि उपलब्ध करा चुका है। इस क्रम में बैंक ने तीन करोड़ 67 लाख 18 हजार रुपये जरूरतमंदों तक पहुंचाए हैं।
कोरोना महामारी को लेकर हुए लॉकडाउन के चलते सभी तरह के आवागमन बंद हो गए थे। इससे बैंकों में पैसा रखने वाले लोगों के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन इस अवधि में ऐसे लोगों के लिए डाकिए मसीहा बनकर उभरे। वह जरूरत पड़ने पर घर-घर जाकर लोगों तक रुपये को पहुंचाया। जिले में एक सितंबर 2019 को इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक की तरफ से घर-घर जाकर रूपये देने का काम शुरू किया गया था। सितंबर से लेकर लॉकडाउन से पहले यानी 23 मार्च तक यह बैंक डाकियों के माध्यम से महज 400 लोगों तक ही पहुंच सका था। अगर ग्राहकों को भुगतान की धनराशि की बात करें तो उस समय महज 25 लाख रुपये तक का ही भुगतान कर सके थे। लेकिन 24 मार्च को लॉकडाउन होने के बाद से 30 मई तक 19 हजार 976 लोगों में तीन करोड़ 56 लाख 18 हजार रूपये का भुगतान घर पर जाकर डाकियों की तरफ से किया गया। राबर्ट्सगंज डाक घर के पोस्ट मास्टर सुनील कुमार ने बताया कि हर लाभार्थी को सरकार की ओर से मिलने वाली सहायता राशि पहुंचाने का सिलसिला अभियान के तौर पर जारी है। प्रदेश सरकार की पहल से बढ़े बैंक के हाथ
लॉकडाउन के दौरान सरकार की ओर से वृद्धा पेंशन, मनरेगा, महिलाओं के जनधन खातों में सहायता राशि भेजी गई। चूंकि बैंक तक पहुंचना संभव नहीं था, इसलिए जरूरतमंदों तक धनराशि की उपलब्धता नहीं हो पा रही है। ऐसे में प्रदेश सरकार ने सहायता राशि के भुगतान को लेकर डाक विभाग के बड़े नेटवर्क के इस्तेमाल का फैसला किया। सरकार की पहल पर जिला प्रशासन और डॉक विभाग के अफसरों की बैठक हुई और लोगों के घर-घर जाकर सहायता राशि की निकासी कराने का जिम्मा इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक को सौंपा गया। इस दौरान शारीरिक दूरी के साथ कोरोना सुरक्षित धन निकासी कराने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायत को दी गई।