जनसहभागिता से ही लगेगी पॉलीथिन पर लगाम
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : प्रकृति की रक्षा के लिए लोगों को ही आगे आना होगा।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : प्रकृति की रक्षा के लिए लोगों को ही आगे आना होगा। सरकार नियम बना सकती है। प्रशासन उसका पालन कर सकता है लेकिन जब तक जनसहभागिता नहीं बनेगी तब तक बड़े से बड़ा प्रशासन भी किसी समस्या को दूर करने में सफल नहीं हो पाएगा। अब समय आ गया है, जब लोग पॉलीथिन छोड़कर कपड़ायुक्त झोले का उपयोग करना अपनी आदतों में शुमार करें। इससे समस्याएं छोटी तो होंगी ही पॉलीथिन का सफाया भी होगा।
पॉलीथिन क्या है और उससे क्या-क्या परेशानियां जन्म ले रही हैं उस पर दैनिक जागरण लगातार प्रकाशित कर रहा है लेकिन इसी से जुड़े अन्य पहलुओं को विस्तार रूप देते हुए लोगों में पॉलीथिन को लेकर क्या विचार चल रहे हैं उसे जानने का प्रयास किया गया तो लोगों ने इस पर लगाये गये प्रतिबंध को सही बताया। हालांकि पालीथिन बाजारों में यदाकदा दिख रहे हैं, थर्मोकोल खुलेआम ठेलों पर दिख रहा है। वैवाहिक से लेकर दूसरे कार्यक्रमों में खुलेआम उपयोग हो रहा है। इसके पीछे कारण यह है कि लोगों में अभी भी भ्रम की स्थिति है कि अभी सिर्फ पालीथिन पर ही रोक है। जबकि सरकार ने थर्मोकोल को भी प्रतिबंधित किया है। इसी जनजागरूकता की कड़ी में गुरुवार को प्रकाश जीनियस इंटरमीडिएट कालेज के बच्चों ने पॉलीथिन का उपयोग न करने का संकल्प लिया। इसके साथ यहां के शिक्षक भी मौजूद रहे। क्या कहते हैं नगर के नागरिक
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पॉलीथिन हमारे जीवन में इस प्रकार घुस गया है कि इससे उबरना मुश्किल हो गया है। हालांकि सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर पर्यावरण की बेहतरी के लिए उत्तम निर्णय लिया है। अब हमें अपने हिस्से का कर्तव्य पूरा करना है। इसके लिए पॉलीथिन को कम से कम अपने घरों को पॉलीथिन मुक्त करना है।
-आलोक कुमार पांडेय, प्रधानाचार्य।
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समस्याएं कितनी भी गंभीर क्यों न हों उसे एक संकल्प से खत्म किया जा सकता है। सरकार ने एक कदम बढ़ाया है हमें उसे दो कदम बढ़ाकर विस्तार देना है। लोगों में चेतना जगते ही पालीथिन का समूल नाश हो जाएगा।
-संतोष कुमार पांडेय, शिक्षक।
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पॉलीथिन को बहुत पहले ही प्रतिबंधित कर देने की जरूरत थी। विकराल स्थितियां उत्पन्न हों इससे पूर्व ही उसकी जड़ों पर प्रहार करना चाहिए। ढिलाई करने से पालीथिन ने अपनी गहरी जड़े जमा ली।
-सुनीता ¨सह, शिक्षक।
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जो भी है अब हमें पॉलीथिन को खत्म करने के लिए आगे आना ही होगा। समस्याओं की गंभीरता को देखते हुए पॉलीथिन से निकलते जहर पर अंकुश लगाने लगाने की जरूरत है।
-शशि पांडेय, शिक्षक।