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वैवाहिक कार्यक्रम में बैंड-बाजा बजाना हुआ दुश्वार

भारतीय परंपराओं और रीति-रिवाजों के अनुसार उत्सव और मांगलिक कार्यक्रमों में शहनाई बैंड बाजों के बिना सारी रंगत फीकी मानी जाती है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 04:38 PM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 04:38 PM (IST)
वैवाहिक कार्यक्रम में बैंड-बाजा बजाना हुआ दुश्वार
वैवाहिक कार्यक्रम में बैंड-बाजा बजाना हुआ दुश्वार

जासं, रेणुकूट (सोनभद्र) : भारतीय परंपराओं और रीति-रिवाजों के अनुसार उत्सव और मांगलिक कार्यक्रमों में शहनाई, बैंड बाजा के बिना सारी रंगत फीकी मानी जाती है। ऐसे अवसरों पर बैंड व डीजे की धुन पर वर-वधु के परिजन और रिश्तेदार जमकर नाचते थिरकते हैं। अब सरकारी नियमों और कानूनी बाध्यता के चलते शादी विवाह रंगहीन हो गया है। दुद्धी तहसील में आने वाले गांवों कस्बों के लोग शुभ अवसरों पर बैंडबाजा एवं डीजे को शामिल करना टेढ़ीखीर मानने लगे हैं।

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नए नियमों के अनुसार शासन के आदेश पर शादी विवाह में बैंडबाजा और डीजे बजाने के लिए प्रशासन से अनुमति लेना पड़ता है। सबसे पहले एसडीएम के पास प्रार्थना पत्र देना पड़ता है फिर तहसीलदार और थानेदार जांच कर आख्या रिपोर्ट देते हैं। इसके बाद शर्तों के साथ बैंड बाजे की अनुमति मिलती है। यह तो रही नियमों की बात लेकिन इन सब प्रक्रिया में कई कई दिन लग जाते हैं। कुछ ऐसे भी मामले आए हैं जहां परमिशन न मिलने के कारण बिना बैंडबाजों के ही वैवाहिक कार्यक्रम को संपन्न कराना पड़ा है। दुद्धी तहसील के अंतर्गत आने वाले इलाके भौगोलिक ²ष्टिकोण से कठिन और विस्तृत क्षेत्र में स्थापित हैं। दुद्धी के आसपास के गांवों को छोड़ अन्य इलाकों के लोगों को तहसील का चक्कर लगाने में सैकड़ों किलोमीटर का दूरी तय करना पड़ता है।


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