ग्रामीण व तहसील क्षेत्रों की आपूर्ति में आंशिक कमी
प्रदेश में बिजली आपूर्ति के तय किये गये शेड्यूल में पिछले कुछ वर्षों के दौरान काफी वृद्धि हुयी है। बिजली की उपलब्धता बढ़ने के साथ अर्बन क्षेत्रों सहित ग्रामीण अंचलों में आपूर्ति में कई घंटों की वृद्धि हुयी है।
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : प्रदेश में बिजली आपूर्ति के तय किए गए शेड्यूल में गत कुछ वर्षों के दौरान काफी वृद्धि हुई है। बिजली की उपलब्धता बढ़ने के साथ ही अर्बन क्षेत्रों सहित ग्रामीण अंचलों में आपूर्ति में कई घंटों की वृद्धि हुई है। अभी इसमें काफी सुधार की उम्मीद है। खासकर ग्रामीण, तहसील स्तर एवं बुंदेलखंड में बिजली आपूर्ति की स्थिति को और मजबूत करने की स्थिति है। प्रदेश के सभी हिस्सों को 24 घंटे बिजली देने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। जिनमें सर्वाधिक बिजली चोरी के फीडरों को चिह्नित कर बिजली की चोरी रोकने, ग्रामीण क्षेत्र में घरेलू और ट्यूबवेल के फीडर अलग करने, विद्युत वितरण प्रणाली को बिजली चोरी रोकने हेतु तकनीकी तौर पर सु²ढ़ एवं सक्षम बनाने के साथ नये उपभोक्ताओं के अनुरूप नए खंडों, मंडलों, क्षेत्रों इत्यादि का सृजन कर प्रत्येक स्तर पर कुशल तकनीकी कर्मियों की भर्ती जैसे प्रयास शामिल हैं। इसके बावजूद बीते वित्त वर्ष 2018-19 में ग्रामीण,तहसील और बुंदेलखंड में वित्त वर्ष 2017-18 के सापेक्ष आपूर्ति में आंशिक कमी दर्ज की गयी है। हालांकि जनपद, मंडल और महानगरों में आपूर्ति के आकड़ें में काफी सुधार हुआ है। तहसीलों में आपूर्ति में हुई कमी
पिछले वित्त वर्ष के सापेक्ष ग्रामीण क्षेत्र में सात मिनट,तहसील स्तर पर 15 मिनट तथा बुंदेलखंड में 10 मिनट की औसतन कमी दर्ज की गयी है। हालांकि पिछले पांच वर्षों के दौरान प्रदेश के सभी क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति में काफी प्रगति आई है। यूपी स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर के आंकड़ें पर नजर डालें तो पिछले चार वित्तीय वर्षों के दौरान ग्रामीण क्षेत्र की प्रतिबंधित अवधि में काफी वृद्धि हुई है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में औसतन 11.38 घंटे प्रतिदिन की आपूर्ति ग्रामीण क्षेत्रों में हुई थी जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर 16.39 घंटे प्रतिदिन हो गई। वर्ष 2017-18 में यह आंकड़ा बढ़कर 18.35 घंटे प्रतिदिन हो गया।हालांकि वित्त वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा आंशिक कमी के साथ 18.28 घंटे हो गया। तहसील स्तर पर नजर डाला जाए तो वित्तीय वर्ष 2015-16 में औसतन 14.26 घंटे प्रतिदिन की आपूर्ति तहसीलों में हुई थी जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर 18.54 घंटे प्रतिदिन हो गयी। वर्ष 2017-18 में यह आंकड़ा बढ़कर 21.00 घंटे प्रतिदिन हो गया। हालांकि वित्त वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा आंशिक कमी के साथ 20.45 घंटे हो गया। फिलहाल वित्त वर्ष 2019-20 के पहले माह अप्रैल में अभी तक ग्रामीण क्षेत्रों में आपूर्ति की हालत ठीक है। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में तय शेड्यूल 18 घंटे की जगह औसतन तौर पर 20 घंटे तक बिजली दी जा रही है।