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कर्मचारियों की हड़ताल से नहीं हो सकी धान की खरीद

विभिन्न समस्याओं को लेकर राजकीय धान खरीद के कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से धान की खरीद ठप हो गई है। इससे किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। तीन दिनों से रुक-रुककर व झमाझम बारिश होने से किसान ठंड में ठिठुरने के लिए विवश हैं। राज्य सरकार के क्रय केंद्रों पर किसान बेहाल हैं। क्रय केन्द्रों पर टेंट व अलाव की व्यवस्था न होने से किसान परेशान है। राजकीय धान खरीद केंद्रों के कर्मचारियों के विभिन्न मां

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Dec 2019 07:59 PM (IST)Updated: Sun, 15 Dec 2019 07:59 PM (IST)
कर्मचारियों की हड़ताल से नहीं हो सकी धान की खरीद
कर्मचारियों की हड़ताल से नहीं हो सकी धान की खरीद

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : विभिन्न समस्याओं को लेकर राजकीय धान खरीद के कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से धान की खरीद ठप हो गई है। इससे किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। तीन दिनों से रुक-रुककर व झमाझम बारिश होने से किसान ठंड में ठिठुरने के लिए विवश हैं। राज्य सरकार के क्रय केंद्रों पर किसान बेहाल हैं। क्रय केन्द्रों पर टेंट व अलाव की व्यवस्था न होने से किसान परेशान है।

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राजकीय धान खरीद केंद्रों के कर्मचारियों के विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर चले जाने से तीसरे दिन भी धान की खरीद शुरू नहीं हो सकी। इससे राजकीय धान खरीद पर अपना धान लेकर बेचने का इंतजार कर रहे किसानों में मायूसी देखी जा रही है। तीन दिनों से हो रही बारिश से भी किसान बेचैन दिख रहे हैं। खरीद केंद्रों पर किसानों को कोई सुविधा नहीं मिल रही है। ठंड बढ़ने के बावजूद अलाव का भी इंतजाम नहीं किया गया है। इससे किसान ठंड में दिन व रात गुजारने को विवश हैं। बोले किसान

- राब‌र्ट्सगंज मंडी समिति स्थित राजकीय धान खरीद केंद्र पर धान लेकर आए हुए आठ दिन हो गए हैं। केन्द्र पर अलाव की व्यवस्था की व्यवस्था नहीं की गई है। इससे रात में रुकने में परेशानी हो रही है। धान खरीद कब शुरू होगी कोई कुछ नहीं बता पा रहा है।

- रूपचंद, निपराज। -राजकीय धान खरीद से जुड़े कर्मचारी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं। तीन दिन से बारिश हो रही है। बारिश के चलते कुछ धान भी भीग गया है। पांच दिन बाद भी धान की खरीद शुरू नहीं हो सकी है।

- रघुनाथ, मानपुर।

- सात दिन से धान लेकर खरीद का इंतजार कर रहा हूं। बारिश के कारण यहां रुकने में परेशानी उठानी पड़ रही है। कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से खरीद नहीं हो पा रही है। किसी तरह की व्यवस्था न होने से ठंड में खुले में रहने को मजबूर हैं।

- संदीप कुमार, कुंसाही।

- पांच दिनों से धान बेचने के लिए नंबर लगाया हूं। यहां न तो किसानों को ठहरने के लिए कोई इंतजाम किया गया है और न ही ठंड से बचाव के लिए अलाव ही जलाया जा रहा है। किसानों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है।

- राजकुमार सिंह, नई बाजार


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