निजीकरण को लेकर ट्रेड यूनियनों में नाराजगी
ऊर्जा नीति में निजीकरण पर ज्यादा जोर देने को लेकर ट्रेड यूनियने बड़े विरोध की ओर अग्रसर हो रही हैं। खासकर पूर्वांचल वितरण निगम के निजीकरण का मसौदा पेश करने के बाद यूनियनें काफी आक्रोशित हैं।
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जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : ऊर्जा नीति में निजीकरण पर ज्यादा जोर देने को लेकर ट्रेड यूनियन बड़े विरोध की ओर अग्रसर हो रही हैं। खासकर पूर्वांचल वितरण निगम के निजीकरण का मसौदा पेश करने के बाद यूनियन के लोग काफी आक्रोशित हैं। कोरोना संकट में बड़े आंदोलनों पर लगाई गयी रोक के बावजूद इलेक्ट्रिसिटी संशोधन बिल को लेकर आंदोलन की स्थिति बनती जा रही है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव रद्द किया जाए और ऊर्जा निगमों के बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों व अभियंताओं को विश्वास में लेकर बिजली उत्पादन, पारेषण और वितरण में चल रहे सुधार के कार्यक्रम सार्वजनिक क्षेत्र में ही जारी रखे जाए। जिससे आम जनता को सस्ती और गुणवत्तापरक बिजली मिल सके। निजीकरण हुआ है पूरी तरह फेल संघर्ष समिति के अनुसार पूर्वांचल वितरण निगम के निजीकरण से पहले पुराने अनुभवों पर भी विचार किये जाने की जरूरत है। आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन इ. शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि निजीकरण का एक और प्रयोग करने के पहले 27 साल के ग्रेटर नोएडा के निजीकरण और 10 साल के आगरा के फ्रेंचाइजीकरण की समीक्षा जरूरी है। आकड़ों से स्पष्ट है कि आगरा जैसे बड़े औद्योगिक एवं वाणिज्यिक शहर के निजीकरण से पावर कारपोरेशन को प्रति वर्ष अरबों की क्षति उठानी पड़ रही है। विगत आठ वर्षों में आगरा के निजीकरण से पावर कारपोरेशन को 4000 करोड़ रुपये से अधिक की क्षति हो चुकी है। यही नहीं वर्ष 2000 में बिजली बोर्ड के विघटन के समय मात्र 77 करोड़ रुपये का सालाना घाटा था जो अब 95000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। नई ऊर्जा नीति में कई बदलाव पर नाराजगी
ऊर्जा नीति में बदलाव पर अभियंता संघ के सहायक सचिव इं. अदालत वर्मा ने कहा कि विद्युत वितरण के निजीकरण के लिए वितरण सब लाइसेंसी और फ्रेंचाइजी नियुक्त करने , किसानों और गरीब उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल में मिलने वाली सब्सिडी समाप्त करने जैसे बदलाव चिताजनक है। बताया कि निजी बिजली उत्पादन कंपनियों से बिजली खरीद का वितरण कंपनियों द्वारा लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) खोलकर अग्रिम भुगतान सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रिसिटी कांट्रैक्ट इंफोस्र्मेंट अथारिटी को अधिकार सौंपने की तैयारी है। निजी बिजली उत्पादन कंपनियों का अग्रिम भुगतान सुनिश्चित न होने पर केंद्रीय लोड डिस्पैच केंद्र को प्रदेश की बिजली आपूर्ति रोकने का अधिकार और पालन न करने पर भारी पेनाल्टी लगाने जैसे बदलाव शामिल हैं। राजस्व वसूली के जनवरी 2018 तक के आकड़ें
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वाराणसी 6.50 रुपये प्रति यूनिट
लखनऊ 6.08 रुपये प्रति यूनिट
मुरादाबाद 5.25 रुपये प्रति यूनिट
गोरखपुर 5.15 रुपये प्रति यूनिट
मेरठ 5.10 रुपये प्रति यूनिट
आगरा में निजी कंपनी कारपोरेशन को 3.91 रुपये प्रति यूनिट दे रही है।