ओबरा नगर पंचायत की सीमा विस्तार की दरकार
ओबरा सी की स्थापना के कारण ओबरा नगर पंचायत के कई वार्डों की शक्ल सुरत पूरी तरह बदल गयी है। 1320 मेगावाट क्षमता के ओबरा सी की स्थापना ने प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी नगर पंचायत के स्वरूप को काफी प्रभावित किया है।
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : ओबरा-सी की स्थापना के कारण ओबरा नगर पंचायत के कई वार्डों की शक्ल सूरत पूरी तरह बदल गई है। 1320 मेगावाट क्षमता के ओबरा-सी की स्थापना ने प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी नगर पंचायत के स्वरूप को काफी प्रभावित किया है। ओबरा-सी की वजह से पहले ही नगर पंचायत के दो वार्ड खत्म कर दिया गया था। अब ओबरा-सी की वजह से नगर पंचायत के चार और वार्डों का अस्तित्व प्रभावित हो गया है। इसके कारण नगर पंचायत क्षेत्र के विस्तार की जरूरत महसूस हो रही है। इसको लेकर नगर पंचायत ने नये क्षेत्रों के सर्वे के बाद प्रस्ताव शासन को भेजा है। पांच वार्डों का अस्तित्व प्रभावित
ओबरा सी की वजह से 500 से ज्यादा परिवारों को दूसरे स्थान पर जाना पड़ा, लगभग तीन हजार से ज्यादा परियोजना आवास तोड़े गये। अभी तक प्राइमरी पाठशाला सेक्टर 7, मनोरंजन केंद ्र न.2 व 3, डकहिया पहाड़ी, आधा दर्जन ट्रेड यूनियन कार्यालय, सेक्टर सात स्थित सेंटर स्टोर, परियोजना दूरभाष केंद्र, सब्जी मार्केट सहित रिहायशी इलाकों में सेक्टर 5, 6, 7 एवं आंशिक तौर पर सेक्टर 2 व 3, डकहिया बस्ती, रांची डेरा, इन्द्रा मार्केट, झरिया नाला बाजार सदैव के लिए इतिहास हो गये। कई वार्ड पूरी तरह नक्शे से ही गायब हो चुके हैं जिसके वजह स े अब नगर पंचायत के नक्शे में विस्तार की मांग की जा रही है। खासकर नगर पंचायत क्षेत्र के आसपास बढ़ रहे अर्बन क्षेत्रों में बुनियादी हालत के अत्यंत खराब होने के कारण नगर पंचायत के सीमा विस्तार की आवश्यकता दिख रही है । कई हिस्सों को शामिल करने की मांग
लगभग पांच दशक पूर्व स्थापित ओबरा तापीय परियोजना की कालोनी के आसपास लगातार शहरीकरण हुआ है। ओबरा से सटे बिल्ली-मारकुंडी ग्राम पंचायत के बिल्ली, गजराज नगर, भलुआ, खैरेटिया आदि टोलों में भारी पैमाने पर अर्बन इलाके जैसी आबादी बढ़ी है। इन टोलों में हजारों की संख्या में परियोजना के सेवानिवृत्त कर्मचारियों और खनन क्षेत्र के व्यवसायियों ने अपना आवास बनाया हुआ है लेकिन, शहरी माहौल के बावजूद यहां पर बुनियादी विकास काफी बुरी हालत में है। खासकर मानसून के दौरान में बढ़ते शहरीकरण का बद्तर नजारा देखने को इन क्षेत्रों में मिलता है। इन क्षेत्रों में जल निकासी की कोई प्रणाली नहीं होने के कारण जल जमाव की स्थिति पैदा हो जाती है। साडा सहित अन्य प्रशासनिक अमले की उपेक्षा एवं अनियमितता के साथ सामंजस्य की कमी के कारण यहां समस्या बढ़ते जा रही है। लगभग 3000 से ज्यादा नए बने आवासों के आसपास जल निकासी की कोई व्यवस्था नही है। ऐसे में यहां के निवासी भी इन क्षेत्रों को ओबरा नगर पंचायत में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। साथ ही नगर पंचायत के कई वार्डों के खत्म होने के कारण भी इसकी जरूरत देखी जा रही है। इसके अलावा परियोजना कालोनी के सेक्टर नौ और 10 को भी नगर पंचायत में शामिल करने की मांग पुरानी है।यही नही ओबरा सी क्षेत्र से हटाए गए गैर निगमीय लोगों के लिए बसाई गईबस्ती को भी नगर पंचायत में शामिल करने की मांग चल रही है।
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नगर पंचायत की सीमा विस्तार को लेकर शामिल करने वाले संभावित क्षेत्र की आबादी और क्षेत्रफल का आकलन किया गया है। जिलाधिकारी को इस सम्बन्ध में प्रस्ताव भेजा गया है।
- अमित कुमार सिंह, अधिशासी अधिकारी, नगर पंचायत।