पांच सौ से अधिक स्कूलों में उपयोग लायक नहीं शौचालय
पांच सौ से अधिक स्कूलों में उपयोगी नहीं है शौचालय सबहेड.. - सर्वे में 11.7 फीसद स्कूलों में नहीं था शौचालय क्रासर.. - 11.2 फीसद स्कूलों में बालक-बालिका के लिए एक ही शौचालय - नीति आयोग के निर्देशानुसार तेजी से कराया जा रहा है काम जागरण संवाददाता, सोनभद्र : परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बालक-बालिका के लिए अलग-अलग शौचालय का इंतजाम अभी तक नहीं हो सका है। वहीं पांच सौ से अधिक ऐसे स्कूल हैं जहां शौचालय तो है लेकिन उपयोग करने के लायक नहीं है। ऐसे में नीति आयोग के निर्देशानुसार जिला प्रशासन ने इसका इंतजाम करने के लिए संबंधित ग्राम पंचायतों को जिम्मेदारी दिया है। 2
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बालक-बालिका के लिए अलग-अलग शौचालय का इंतजाम अब तक नहीं हो सका है। पांच सौ से अधिक ऐसे स्कूल हैं जहां शौचालय तो है लेकिन ये उपयोग के लायक नहीं है। ऐसे में नीति आयोग के निर्देशानुसार जिला प्रशासन ने इसका इंतजाम करने के लिए संबंधित ग्राम पंचायतों को जिम्मेदारी दी है। 28 फरवरी तक ये सभी काम पूर्ण करने के लिए निर्देश भी दिया जा चुका है।
गत दिसंबर माह में कराए गए सर्वे में पता चला था कि जिले के 11.7 फीसद स्कूल ऐसे हैं जहां बालक-बालिका के लिए कोई शौचालय नहीं है। इसी तरह 11.2 फीसद ऐसे स्कूल मिले जहां बालक-बालिकाओं द्वारा एक ही शौचालय का उपयोग किया जाता है। 22.1 फीसद स्कूलों में बालक व बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय मिले हैं। ऐसे में इस सर्वे रिपोर्ट को आधार मानकर जिला प्रशासन की बैठक की गई और बैठक में पंचायती राज विभाग को जिम्मेदारी दी गई कि स्कूलों का शौचालय ठीक कराया जाए। जहां पर शौचालय है लेकिन उपयोग करने के लायक नहीं है उसे शीघ्र ठीक कराने के लिए कहा गया। उस दिशा में काफी काम भी हुआ है। शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो करीब एक दर्जन स्कूल ही ऐसे बचे हैं जहां शौचालय नहीं है। 28 फरवरी तक सभी कार्य कर लिए जाएंगे। जिला समन्वयक निर्माण राकेश ¨सह ने बताया कि सभी स्कूलों में तेजी से काम चल रहा है।
शिक्षकों के लिए अलग शौचालय पर जोर
शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों की मानें तो जिले के सभी परिषदीय स्कूलों में अब जो भी शौचालय बनवाए जा रहे हैं उनमें बालक और बालिका दोनों के लिए अलग-अलग है। इसके साथ ही शिक्षकों के लिए अलग शौचालय बनवाने पर जोर है क्योंकि शिक्षकों में करीब पचास फीसद महिला शिक्षक हैं। उन्हें ज्यादा दिक्कत होती है। बच्चों के शौचालय में इन्हें जाने पर भी समस्या होती है। ऐसे में शिक्षकों के लिए अलग शौचालय बनवाने का प्लान तैयार किया गया है। जिले के सभी स्कूलों में शौचालय बनाकर उसे क्रियाशील कराया जा रहा है। इस दिशा में काफी तेजी से काम भी हो रहा है। जहां अभी दिक्कत है वहां काम जल्दी कराने पर ध्यान दिया गया है। जो भी कार्य हो रहे हैं वे सभी नीति आयोग के निर्देशानुसार हो रहे हैं।
- डा. गोरखनाथ पटेल, बीएसए-सोनभद्र।