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ओबरा पीजी कालेज के विज्ञान संकाय में शिक्षक नहीं

जागरण संवाददाता ओबरा (सोनभद्र) जनपद के सबसे बड़े उच्च शिक्षा केंद्र ओबरा पीजी कालेज ।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 06:04 PM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 10:14 PM (IST)
ओबरा पीजी कालेज के विज्ञान संकाय में शिक्षक नहीं
ओबरा पीजी कालेज के विज्ञान संकाय में शिक्षक नहीं

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : जनपद के सबसे बड़े उच्च शिक्षा केंद्र ओबरा पीजी कालेज में नए सत्र की कक्षाएं शुरू हो गई हैं। स्नातक प्रथम वर्ष के बाद द्वितीय और तृतीय वर्ष की भी काउंसलिग पूरी होने वाली है लेकिन कक्षाएं शुरू होने के साथ ही शिक्षकों की कमी पुन: सामने आ गई है। पिछले कई वर्षों से कालेज में शिक्षकों की भारी कमी है। इससे पूरे जनपद से आने वाले छात्र मायूस हैं। शिक्षकों की भारी कमी ने कालेज के शैक्षिक स्तर को तगड़ा झटका दिया है। कभी नैक द्वारा सराहे गए तथा सेंटर फार एक्सीलेंस की उपाधि पा चुके कालेज में कई विषयों के शिक्षक ही नहीं हैं। शिक्षकों की कमी के कारण उच्च शिक्षा का सपना लेकर यहां आने वाले छात्रों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले जनपद के सबसे बड़े शिक्षा केंद्र को लेकर शासन की मंशा ने बड़ी चिता पैदा की है। आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए सबसे मुफीद कालेज में शिक्षकों की कमी की वजह से कई विषयों की कक्षाएं कई वर्षों से ठप हालत में है। शिक्षकों की कमी का अंदाजा विज्ञान संकाय को देखकर लगाया जा सकता है। पिछले तीन वर्षों से भौतिक विज्ञान के शिक्षकों के दोनों पद खाली हैं, जबकि वर्ष 2010 में ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो ) द्वारा ओबरा पीजी कालेज को अपना केंद्र बनाया था। इसके अलावा जंतु और वनस्पति विज्ञान के तय दो-दो पद पिछले दो वर्ष से खाली हैं। इससे चिकित्सा क्षेत्र में जाने वाले छात्रों के लिए ओबरा पीजी कालेज की उपयोगिता पूरी तरह नगण्य हो गई है। इसी तरह गणित के दो में एक पद,रसायन विज्ञान के तीन में दो पद खाली हैं। कला संकाय में भी जहां अंग्रेजी का कोई शिक्षक नहीं है वहीं राजनीति शास्त्र एवं हिदी के एक -एक पद खाली हैं। यही हालत पुस्तकालय में हैं जहां पुस्तकालय अध्यक्ष का पद भी खाली है । लगभग 3000 छात्रों वाले कालेज में शिक्षकों की संख्या 60 से ज्यादा होनी चाहिए, लेकिन वर्तमान में मात्र दर्जन भर शिक्षक कार्यरत हैं । नियमानुसार स्नातक में प्रति विषय 2-2 तथा स्नातकोत्तर में प्रति विषय 3-3 शिक्षक होने चाहिए। कालेज के प्राचार्य डा. प्रमोद कुमार ने बताया कि शिक्षकों की कमी को लेकर उच्च शिक्षा निदेशालय को लगातार पत्राचार किया जा रहा है। कहा कि शिक्षकों की कमी होने के कारण कक्षाएं चलाना मुश्किल हो गया है।

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शिक्षक कर रहे बाबू का काम किसी भी उच्च शिक्षा केंद्र में कार्यालय स्टाफ की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। कनिष्ठ लिपिक के दो पद में एक पद खाली है । हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां चतुर्थ श्रेणी के कुल सृजित 15 पद के सापेक्ष मात्र एक कर्मचारी ही है। हालत यह है कि कालेज के शिक्षक कार्यालय स्टाफ का कार्य कर रहे हैं । ओबरा पीजी कालेज में शिक्षकों की कमी को लेकर पूर्व में पत्राचार किया गया था। शिक्षकों की कमी से छात्रों को हो रही दिक्कतों को देखते हुए वे उप मुख्यमंत्री से वार्ता करेंगे।

-संजीव गोड़, ओबरा विधायक।


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