रिहंद जलाशय में परियोजनाओं की राख जाने पर एनजीटी सख्त
रिहंद जलाशय में परियोजनाओं की राख जाने पर एनजीटी सख्त
जागरण संवाददाता, अनपरा (सोनभद्र) : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने यूपी के सोनभद्र व एमपी के सिगरौली जनपद में संचालित तापीय परियोजनाओं की राख रिहंद जलाशय में जाने को लेकर सख्त रुख अख्तियार किया हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देशित किया है कि थर्मल पॉवर प्लांट से निकलने वाली राख का निस्तारण पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के मानकों के अनुसार हो।
पर्यावरणविद एवं अधिवक्ता अश्वनी दुबे ने याचिका में कहा है कि गत छह अक्टूबर को एनटीपीसी विध्याचल के राख बांध में आई दरार से 35 लाख मीट्रिक टन फ्लाईऐश रिहंद जलाशय में जाने के मामले में परियोजना को क्षतिपूर्ति के रूप में एमपीपीसीबी के यहां 10 करोड़ रुपये जमा करने होंगे। श्री दुबे की याचिका पर सुनवाई के बाद एनजीटी ने कहा कि अब अनपरा व अनपरा सी विद्युत गृह राखयुक्त पानी को रिहंद जलाशय में डिस्पोजल व ओवरफ्लो की प्रक्रिया को सख्ती से रोकना होगा। केंद्रीय व राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सिचाई विभाग के साथ मिलकर रिहंद जलाशय में निस्तारित हुए राख का आकलन करने का भी निर्देश दिया गया हैं। रिहंद जलाशय की हुई क्षति की भरपाई बिजली घरों से की जाएगी। अधिवक्ता अश्वनी के मुताबिक एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श गोयल ने कहा कि परित्यक्त खान यानि एनसीएल की बंद खदानों में ऐश को भरने का काम सीपीसीबी के दिशा-निर्देश में किया जा सकता हैं। इसके लिए धनबाद स्थित भारतीय खान ब्यूरो से इस विषय पर राय ली जा सकती है। पूर्व में दायर रिपोर्ट को रखा बरकरार
अधिवक्ता ने बताया कि एनजीटी ने पूर्व में दायर एक समिति की रिपोर्ट को बरकरार रखा। साथ ही परियोजनाओं द्वारा समिति पर रिपोर्ट को त्रुटिपूर्ण एवं निराधार बताए जाने के आवेदन को खारिज कर दिया। एनजीटी के अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल के नेतृत्व में अगली सुनवाई की पीठ के लिए एक कमेटी का गठन किया गया हैं। जिसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण के अधिकारी आदि शामिल है रहेंगे।