नई इकाइयों की स्थापना में आएगी तेजी
केंद्र सरकार द्वारा घोषित नीति के अनुसार आयु पूरी कर चुकी पुरानी ताप विद्युत इकाइयों को बन्द कर उनके स्थान पर 660 या
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : केंद्र सरकार द्वारा घोषित नीति के अनुसार आयु पूरी कर चुकीं पुरानी तापीय बिजली इकाइयों को बंद कर उनके स्थान पर 660 या 800 मेगावाट क्षमता की नई सुपर क्रिटिकल इकाइयां स्थापित की जानी हैं। भविष्य में बिजली की मांग में व्यापक वृद्धि को देखते हुए इस नीति से मांग को पूरा करने में मदद मिल सकती है।
शुरुआती तौर पर ओबरा तापीय परियोजना के बंद हो चुके अ तापघर की आठ इकाइयों को हटाकर 800 मेगावाट की नई इकाई को स्थापित करने की प्रक्रिया चालू हो चुकी है। प्रदेश के ज्यादातर तापीय परियोजनाएं काफी पुरानी हो चुकी हैं। इन परियोजनाओं की तमाम इकाइयां या तो बंद हो चुकी हैं या अनुरक्षण की हालत में हैं। केंद्र की नीतियों के तहत प्रदेश के पुराने विद्युत घरों में ज्यादा क्षमता की इकाइयां लगें तो प्रदेश के विद्युत उत्पादन के आंकड़ों में गुणोत्तर वृद्धि संभव होगी। पुरानी परियोजनाओं में उपलब्ध संसाधनों की वजह से नई इकाइयों की स्थापना में काफी सहूलियत होगी। हालांकि इसकी शुरुआत कुछ वर्ष पहले ही हो चुकी है। कोल स्वै¨पग की नीति से होगी सहूलियत
केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र तथा निजी क्षेत्र की कंपनियों के बीच कोयला आपूर्ति की अदला-बदली के लिए कोल स्वै¨पग की नीति बनाई है। इस कदम से ईंधन की उपलब्धता बढ़ने की संभावना है और साथ ही परिवहन लागत कम होगी।। उत्तर प्रदेश में पनकी, पारीछा एवं हरदुआगंज में स्थापित बिजली घर कोयला खदानों से काफी दूर हैं। नई इकाइयों में सोनभद्र की ओबरा-सी के 1320 मेगावाट, हरदुआगंज की विस्तारीकरण 660 इकाई, जवाहरपुर की 1320 मेगावाट एवं पनकी की 660 मेगावाट की इकाइयों को कोयला झारखंड के जमरपानी कोल ब्लाक से मिलेगा। ये सभी इकाइयां जमरपानी से काफी दूर है, जबकि इन परियोजनाओं से जमरपानी की अपेक्षा काफी कम दूरी पर भी कोयला खदानें मौजूद हैं। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए कोल स्वै¨पग के निर्णय का सदुपयोग करते हुए आवश्यकतानुसार इन बिजली घरों को अधिक कैलोरिफिक वैल्यू के सस्ते कोयला खदानों से कोयला स्वैप करने की अनुमति मिलती है तो बिजली के दाम में कमी आ सकती है।