Move to Jagran APP

बीसीसीएल को एनसीएल ने दिया 500 करोड़ का कर्ज

कोरोना वायरस महामारी से देश में उपजी विषम परिस्थितयों का असर कोल इंडिया की विभिन्न कम्पनियों में भी देखा जा रहा है। लाभ अर्जित करने वाले कम्पनियों के हालत बिगड़ गये हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 May 2020 04:38 PM (IST)Updated: Sun, 10 May 2020 04:38 PM (IST)
बीसीसीएल को एनसीएल ने दिया 500 करोड़ का कर्ज
बीसीसीएल को एनसीएल ने दिया 500 करोड़ का कर्ज

जासं, अनपरा (सोनभद्र) : कोरोना वायरस से देश में उपजी विषम परिस्थितियों का असर कोल इंडिया की विभिन्न कंपनियों में भी देखा जा रहा है। लाभ अर्जित करने वाली कंपनियों के हालत बिगड़ गए हैं। बीसीसीएल में कोल कर्मियों व ओबी कंपनियों के भुगतान को लेकर आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। आर्थिक समस्या से निबटने के लिए कंपनी ने कोल इंडिया से 1200 करोड़ रुपये की मांग की थी। जिस पर एनसीएल ने इसी माह 500 करोड़ की एक किस्त मुहैया कराई है। सूत्रों के मुताबिक एनसीएल आगे भी बीसीसीएल को उबारने के लिए और बड़ी धनराशि का भुगतान कर सकती है। लेकिन इसके लिए सीआइएल से अभी कोई दिशा-निर्देश नहीं दिया गया है।

loksabha election banner

बीसीसीएल ने पहले ही बोर्ड से 1200 करोड़ रुपये एनसीएल से बतौर कर्ज के रूप में हासिल करने के लिए मसौदा तैयार कर लिया था। सीआइएल द्वारा एनसीएल को एक मुनाफे वाले कंपनी के रूप में देखा जाता है। एनसीएल ने कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए 20 करोड़ रुपये मुख्यमंत्री राहतकोष एवं चार करोड़ रुपये स्थानीय स्तर पर खर्च कर चुकी है। भुगतान व मांग में कमी

एनसीएल कुछ निजी विद्युत उत्पादक कंपनियों को एडवांस में पैसा लेकर कोयले का डिस्पैच करती है। जबकि लिकेज व अन्य सरकारी कम्पनियों के साथ शर्त के आधार पर कोयला प्रेषण के बाद भुगतान हासिल करती है। लॉकडाउन के चलते देश में बिजली की मांग में कमी आई है। विभिन्न परियोजनाएं अपनी क्षमता से एक हिस्सा कम विद्युत उत्पादन कर रही हैं। प्रदेश सरकार उपभोक्ताओं से बिजली बिल के वसूली में दबाव नही बना रही है। जिससे विद्युत उत्पादक कंपनियों के पास उपभोक्ताओं का पैसा काफी कम आ रहा है। जिससे कोयले की भुगतान व मांग में कमी देखी जा रही है। बकाया हुआ 2500 करोड़ रुपये

सूत्रो के मुताबिक मार्च 2019 में एनसीएल का कुल बकाया एक हजार करोड़ रुपये था। चालू वित्तीय वर्ष में यह बकाया दो हजार 500 करोड़ के आसपास पहुंच गया है। यह बकाया ज्यादातर एनटीपीसी व अन्य विद्युत उत्पादक कंपनियों के पास है। लाकडाउन के दौरान विभिन्न तापीय परियोजनाएं समय से न तो भुगतान ही एनसीएल को कर रही हैं और न ही पूर्व की तरह कोयले की मांग कर रही हैं। लाकडाउन के मद्देनजर उपजी विषम परिस्थितियों में एनसीएल आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए विभिन्न मदों से कटौती करने की योजना बना सकती है। आने वाले दिनों में कंपनी के ऊपर आर्थिक बोझ का दबाव बढ़ेगा। इसके लिए कंपनी प्रबंधन, अधिकारी एवं कर्मचारियों के संडे, ओटी आदि मदों में कटौती कर सकती है। अनावश्यक खर्चों के बचाव के लिए कंपनी तमाम बड़ी निर्णय ले सकती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.