नक्सल क्षेत्र में आधी आबादी के इलाज की सुविधा नहीं
जागरण संवाददाता, वैनी (सोनभद्र) : नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए गत वर्षों में काफी धन
जागरण संवाददाता, वैनी (सोनभद्र) : नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए गत वर्षों में काफी धन खर्च किया गया, इस धन से कुछ हद तक विकास भी हुआ, लेकिन स्वास्थ्य के क्षेत्र में महज कोरमपूर्ति ही रही है। आलम यह हुआ कि नगवां ब्लाक जो अतिनक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शामिल है वहां स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर महज कुछ ही संसाधन उपलब्ध हैं। यहां महिलाओं के इलाज की तो कोई व्यवस्था ही नहीं है।
बुधवार की सुबह दैनिक जागरण द्वारा अपने साप्ताहिक कालम आफिस लाइव के तहत सीएचसी वैनी की पड़ताल की गई तो पता चला कि लाखों की आबादी को स्वास्थ्य सुविधा देने वाला यह अस्पताल खुद बीमार है। बीमारी का कारण मैन पावर और संसाधनों की कमी है। आलम यह है कि जो व्यवस्थाएं हैं वह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बराबर ही हैं। कई बार तो क्षेत्र की महिलाओं को प्रसव कराने के लिए भी जिला मुख्यालय का रुख करना पड़ता है।
....................
नहीं है कोई विशेषज्ञ डाक्टर
वैनी सीएचसी में सृजित आठ विशेषज्ञ डाक्टरों के पद के सापेक्ष एक की भी तैनाती नहीं है। यहां महज चार सामान्य चिकित्सकों की तैनाती है। जिसमें एक अवकाश पर हैं, एक अधीक्षक की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इसके अलावा दो फार्मासिस्ट, चार वार्ड व्याय, चार स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी, छह स्टाफ नर्स, दो एलटी, चार चपरासी, दो स्वीपर के पद सृजित हैं। लेकिन यहां तैनाती के मामले में दो फार्मासिस्ट, एक वार्डव्याय, एलटी, चपरासी और स्वीपर एक-एक, तीन नर्स हैं वह भी संविदा पर। स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी के पद पर किसी की भी तैनाती नहीं है। महिला डाक्टरों के रूप में दो विशेषज्ञ डाक्टरों के पद सृजित हैं लेकिन उनकी तैनाती नहीं है।
.............
दांत व आंख का इलाज नहीं
सीएचसी वैनी में दांत और आंख का इलाज सिर्फ इसलिए नहीं होता क्योंकि यहां या तो डाक्टर नहीं हैं या फिर जरूरी उपकरण नहीं है। इसी तरह एक्स-रे की भी व्यवस्था नहीं है।
..............
समय से पक्के हैं डाक्टर
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र वैनी के डाक्टर समय के पक्के हैं। यहां रहने के लिए कोई खास इंतजाम नहीं है फिर भी राबर्ट्सगंज से आठ बजे तक पहुंच जाते हैं। बुधवार को जब जागरण टीम पहुंची तो यहां एक डाक्टर अवकाश पर थे। जबकि दो डाक्टर मरीजों को देख रहे थे। यहां के अधीक्षक किसी काम से बाहर गये थे। थोड़ी देर के बाद ये भी आ गये। बात करने पर अधीक्षक डा. एसके वर्मा ने बताया कि संसाधन और कर्मियों की कमी है। फिर भी जो संसाधन हैं उतने में ही बेहतर करने की कोशिश होती है।