नम आंखों से मुनीर बख्श आलम को किया सुपुर्दे खाक
सोनांचल के मशहूर शायर एवं यथार्थ गीता के उर्दू अनुवादक मुनीर बख्श आलम के निधन पर साहित्य जगह ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। जगह-जगह शोक सभा कर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई। मंगलवार की शाम को उनके पैतृक गांव बनौरा में नम आंखों के साथ आलम सुपुर्दे खाक हुए।
जासं, सोनभद्र : सोनांचल के मशहूर शायर एवं यथार्थ गीता के उर्दू अनुवादक मुनीर बख्श आलम के निधन पर साहित्य जगह ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। मंगलवार की शाम को उनके पैतृक गांव बनौरा में नम आंखों के साथ आलम साहब को सुपुर्दे खाक किया गया। मिट्टी देने के लिए काफी लोग जुटे थे। सोमवार की रात करीब पौने नौ बजे इन्होंने अंतिम सांस ली। आलम साहब के दो पुत्र खुर्शीद आलम व कमरूद्दीन, पुत्रियां रेहाना बेगम व नसीम बेगम हैं। सभी पुत्र-पुत्रियों का निकाह हो चुका है। आलम की पत्नी बेगम सलमा का कुछ वर्ष पहले ही निधन हो चुका है। साढ़े तीन बजे से जब उनकी अंतिम यात्रा घर से निकली तो लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। उधर, राबर्ट्सगंज के विभिन्न स्थानों पर लोगों ने शोकसभा कर श्रद्धांजलि दी। शहीद स्थल प्रबंधन ट्रस्ट के बैनर तले साहित्यकारों ने श्रद्धांजलि दिया। इस मौके पर अजय शेखर, रामनाथ शिवेंद्र, चंद्रकांत शर्मा, प्रद्युम्न तिवारी, विकास वर्मा, जगदीश पंथी, अशोक तिवारी, अब्दुल हई, इसरार, दयानंद आदि मौजूद थे। मुनीर साहब के आखर उतर जाते थे दिल में
अनपरा (सोनभद्र) : साहित्कार मुनीर बख्श आलम के निधन पर राष्ट्रीय कवि कमलेश राजहंस ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि अमन के वास्ते इक बिन का पैगाम देने वाले शायरी का सुफी आफताब ढल गया, और छोड़ गया अपनों के बीच रुमानी गहराई में डूबने वाला निर्विवाद व्यक्तित्व। जिसे आने वाला कल श्रद्धा और अकीदत के साथ याद करेगा। आलम साहब के खयालात उनकी शायरी के आखर दिल को छूते ही नहीं थे,बल्कि दिल में उतर जाते थे। उनका मिजाज सुफियाना था, उनका गम जाती गम न होकर जमाने का गम था। पराए आंसू, आंसू बनकर उनके ख्यालों में ढल जाते थे। आज शोक व मायूसी की घड़ी में इल्म और अम्न के फकीर मुनीर बक्श आलम को भरे मन से श्रद्धा अकीदत सौंपते हुए उनके रुह की शांति के लिए परमपिता से जमाना प्रार्थना कर रहा है।
बीजपुर प्रतिनिधि के अनुसार : शायर व यथार्थ गीता के उर्दू अनुवादक मुनीर बख्श आलम के निधन से क्षेत्र के साहित्यकार, पत्रकारों में शोक की लहर दौड़ गई। वरिष्ठ कवि कमलेश कमल के आवास पर शोकसभा हुई।