अशोक वाटिका में श्रीराम का संदेश पाकर भावुक हुई मां जानकी
जागरण संवाददाता रेणुकूट (सोनभद्र) श्री रामलीला मंचन के सातवें दिन का शुभारम्भ गणेश पूजन।
जागरण संवाददाता, रेणुकूट (सोनभद्र) : श्री रामलीला मंचन के सातवें दिन का शुभारम्भ गणेश पूजन व श्रीराम आरती से हुआ। मंचन में शारीरिक दूरी का पालन करते हुए स्टेज पर श्रीराम भजन की प्रस्तुति हुई। हिडाल्को रामलीला परिषद् द्वारा यूट्यूब पर आनलाइन दिखाई जा रही रामलीला के सातवें दिन सीता हरण, शबरी भक्ति, राम-सुग्रीव मित्रता, बाली वध, सीताजी की खोज और लंका दहन आदि लीलाओं का सजीव मंचन किया गया। लीलाओं में लक्ष्मणजी द्वारा शूर्पणखा की नाक काट लेने पर शूर्पणखा अपने भाई रावण के दरबार पहुंच कर माता सीता की सुंदर रूप का बखान करते हुए उनके हरण के लिए उकसाती है। तब रावण अपने मामा मारीच के साथ वन में पहुंचते हैं और मारीच स्वर्ण मृग बन कर सीताजी को रिझाते हैं। सीताजी की जिद पर श्रीराम मृग पकड़ने उसके पीछे दौड़ते है। मारीच अपने मायाजाल से लक्ष्मण को श्रीराम की मदद को विवश कर देते और सीताजी के आग्रह पर लक्ष्मण रेखा खींच कर श्रीराम की मदद को चल देते हैं। मौका पाकर साधु वेश में रावण सीताजी का हरण कर लेते है और आकाश मार्ग से लंका की ओर ले चलते हैं। रास्ते में जटायू उन्हें भरसक रोकने का प्रयास करते हैं और रावण के प्रहार से मरणासन्न होकर धरती पर गिर जाते हैं। उधर कुटिया में लौटकर सीताजी को न पाकर दोनों भाई उन्हें खोजने निकलते हैं। तब रास्ते में जटायू से उन्हें रावण द्वारा सीताजी के हरण की जानकारी मिलती है। आगे चलकर श्रीरामजी सुग्रीव से मिलते है और बाली-सुग्रीव युद्ध में बाली का वध करके सुग्रीव को राजगद्दी सौंप देते है। सुग्रीव व श्रीराम की मित्रता होती है और पूरी वानर सेनाएं सुषेन, हनुमान व सुग्रीव श्रीराम व लक्ष्मण के साथ सीताजी को लंका से लाने के लिए निकल पड़ते है। हनुमानजी सात समुंदर पार करके लंका पहुंच कर अशोक वाटिका में सीता माता से मिलकर उन्हें श्रीराम का संदेश देते है। जिसे पाकर सीताजी भावुक हो उठती है।
लंका दहन की लीला का मंचन
बभनी : असनहर में चल रहे रामलीला में शुक्रवार को लंका दहन की लीला का मंचन किया गया। हनुमान जी माता जानकी का खोज करते हुये लंका जाते हैं। इस दौरान शारीरिक दूरी का पालन कमेटी द्वारा सख्ती से कराया गया था।