प्रवासी पक्षियों को भाया सोनांचल, बनाया स्थाई बसेरा
प्रदेश के सबसे ज्यादा वन और जलस्त्रोतों वाले जनपद सोनभद्र में कई प्रवासी पक्षियों का स्थायी आशियाना बनते जा रहा है। कई प्रवासी पक्षियों के यहां नौ महीने से ज्यादा देखा जाना अब आम बात हो गयी है।
.........
संजय यादव
.........
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : करीब 75 फीसद से अधिक वनों से आच्छादित जनपद सोनभद्र में कई प्रवासी पक्षी स्थाई आशियाना बना कर रह रहे हैं। कई प्रवासी पक्षियों के यहां नौ महीने से ज्यादा देखा जाना अब आम बात हो गई है। खासकर रेणुका नदी पर स्थित रिहंद और ओबरा डैम के इलाके में कई पक्षी दिखते हैैं। फिलहाल ओबरा डैम के डाउनस्ट्रीम क्षेत्र के तौर पर रेणुका नदी के लगभग पांच किलोमीटर हिस्से में इस समय कई प्रवासी पक्षियों का डेरा बना हुआ है। ओबरा जलविद्युत घर की इकाइयों से उत्पादन कम होने के कारण रेणुका नदी के जलस्तर में हुई भारी कमी इन प्रवासी पक्षियों के लिए काफी मुफीद साबित हो रहा है। नॉब बिल्ड डक का झुंड कर रहा आकर्षित
ओबरा डैम के बाद रेणुका नदी के हिस्से में इस समय नॉब बिल्ड डक का झुंड आकर्षण का विषय बना हुआ है। लगभग दो दर्जन के करीब बड़े आकार वाले नॉब बिल्ड डक इस समय रेणुका नदी के इस हिस्से में दिखाई पड़ रहे हैं। रेणुका नदी के इस हिस्से में मात्र दो से तीन फिट तक जलस्तर होना इन पक्षियों को काफी रास आ रहा है। चीन के ऊष्ण
कटीबंधीय और पाकिस्तान से लाओस के बीच आवास करने वाले ये बतख दो माह से दिख रहे हैं। रेणुका नदी के पास स्थित पर्वत बाबा, कोदैला तथा डोमनी पहाड़ी पर इन प्रवासी पक्षियों ने अपना ठिकाना बनाया हुआ है। इसके शरीर का ऊपरी हिस्सा काले रंग का होता है, जिसमें फिरोजी व हरी चमक दिखाई देती है। इसकी गर्दन व शरीर के नीचे का हिस्सा सफेद रंग का होता है। गर्दन व सिर पर काले रंग के धब्बे होते हैं। नर पक्षी की चोंच के ऊपरी हिस्से पर गांठ जैसा उभार होता है। मादा पक्षी की चोंच पर ऐसा उभार नहीं होता। लगभग 65 से 80 सेंटीमीटर आकार और दो किलोग्राम से ज्यादा भारी ये पक्षी बीज, घास, अंकुर, छोटी मछली सहित तलहटी में मौजूद शैवाल खाते हैं। अन्य पक्षी भी कर रहे विचरण
रेणुका नदी के इस हिस्से में रूडी शेल्डक, रेड वाटलड लैपविग (टिटिहरी), जलकाग, जलमुर्गी, नीली किगफिशर, काले सफेद सारस एवं बगुला प्रजाति के सैकड़ों पक्षी दिखाई पड़ रहे हैं।