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लाई, चूड़ा व तिल से सजा बाजार

मकर संक्रान्ति पर्व को लेकर जिला मुख्यालय समेत ऊर्जांचल के बाजारों में लाई चूड़ा गुड़ तिलवा तिलकुट की दुकानें सज गई हैं। दुकानों पर खरीदारी के लिए भारी भीड़ जुटने लगी हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 09:35 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 06:07 AM (IST)
लाई, चूड़ा व तिल से सजा बाजार
लाई, चूड़ा व तिल से सजा बाजार

जासं, सोनभद्र : मकर संक्रान्ति पर्व को लेकर जिला मुख्यालय समेत ऊर्जांचल के बाजारों में लाई, चूड़ा, गुड़, तिलवा, तिलकुट की दुकानें सज गई हैं। दुकानों पर खरीदारी के लिए भारी भीड़ जुटने लगी हैं। इसके साथ ही घरों में भी इसकी तैयारियां की जाने लगी हैं।

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पुराणों के अनुसार, 14-15 जनवरी को मनाये जाने वाले मकर संक्रान्ति पर्व पर स्नान, दान, जप, हवन आदि करने से महान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। मकर संक्रान्ति के दिन सूर्य भगवान की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है। हालांकि वस्तुओं की महंगाई बढ़ी है। हर सामान की खरीदारी में ग्राहकों को जेब अधिक ढीली करनी पड़ रही है। गांवों से आए खरीदारों की मानें तो त्योहार तो मनाना ही है। इसके लिए कुछ अधिक पैसे भी खर्च होंगे तो दूसरा कोई विकल्प नहीं है। ग्रामीणों ने इस बात को स्वीकार किया कि महंगाई से दिक्कतें बढ़ी हैं। सामान थोड़ा सस्ता होता तो निश्चित ही खुशहाली अधिक होती।

मकर संक्रांति का महात्म्य :

जासं, अनपरा (सोनभद्र): ऊर्जांचल में पर्व के निमित्त जहां लाई, चूड़ा, तिलकुट की दुकानों पर लोग मोलभाव कर खरीदारी कर रहे हैं, वहीं दाना भूजने वालों के यहां भारी भीड़ देखी जा रही है। इस दिन पतंग उड़ने की परंपरा को लेकर बच्चों द्वारा पतंगबाजी का जमकर लुत्फ उठाया जा रहा है। इस पर्व पर गंगा व संगम में स्नान व दान की महिमा को लेकर अधिकांशत: लोगों ने काशी व प्रयाग जाकर डुबकी लगाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। इस दिन तिल दान ग्रहण करने की भी विशेष महत्ता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत के भीष्म पितामह ने अपने देह त्याग के लिए मकर संक्रांति के दिन का चयन किया था। राजा भागीरथ ने भी महाराज सगर के पुत्रों का श्राद्धकर्म मकर संक्रांति के दिन ही किया था। सनातन धर्म में अनेक विशेषताओं को समेट मकर संक्रांति पर्व से ही सभी मांगलिक कार्य शुरू किए जाते हैं।


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