उत्पादन निगम में मानव शक्ति की भारी कमी
वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद के विखण्डन के बाद बनाये गए निगमों में मानवशक्ति की भारी कमी होते जा रही है।लगातार उपभोक्ताओं एवम नई इकाइयों में वृद्धि के बावजूद खाली पदों पर नियुक्ति व नए पदों का सृजन अपेक्षित तौर पर नही हो पा रहा है।
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद के विखंडन के बाद बनाए गए निगमों में मानव शक्ति की भारी कमी होती जा रही है। उपभोक्ताओं व नई इकाइयों में वृद्धि के बावजूद खाली पदों पर नियुक्ति व नए पदों का सृजन अपेक्षित तौर पर नहीं हो पा रहा है। इस बीच राज्य विद्युत उत्पादन निगम को आंशिक राहत मिली है। निगम अंतर्गत निर्माणाधीन नई इकाइयों में 182 नए पदों के सृजन को राज्यपाल ने स्वीकृति दी है। जिसमें निर्माणाधीन 1320 मेगावाट की जवाहरपुर परियोजना के लिए 145, ओबरा-सी के लिए 29, अनपरा-डी के लिए चार, परीछा के लिए तीन तथा हरदुआगंज के लिए एक पद शामिल हैं। हालांकि यह नई इकाइयों के लिहाज से निगम प्रबंधन द्वारा तय किये नए पदों से काफी कम है।
3960 मेगावाट नई सुपर क्रिटिकल इकाइयों के आटो संचालन के ²ष्टिगत समूह क के 192, समूह ख के 197 एवं समूह ग के 118 सहित कुल मिलाकर 507 पदों की आवश्यकता है। निदेशक मंडल ने 227 नए पदों के सृजन को नई परियोजनाओं के दृष्टिगत अतिआवश्यक माना है। इसके अलावा पुरानी इकाइयों के बंद होने से 280 पद स्वत: ही प्राप्त हुए हैं। जिनको दूसरी परियोजनाओं में समायोजित किया जा चुका है। गतवर्ष ही उत्तर प्रदेश राज्य उत्पादन निगम की 789 मेगावाट क्षमता की पुरानी इकाइयों को स्थायी रूप से बंद कर दिया गया। जिसके बाद 1910 पदों को खत्म कर दिया गया था। उत्पादन निगम में 8700 कर्मचारी
फिलहाल उत्पादन निगम में कर्मचारियों की संख्या 8700 के करीब है। जिसे नए पदों को स्वीकृति के बाद 9292 किया जाना है। उत्पादन निगम में सभी स्तर के कर्मियों की संख्या 8745 रह गई है। निदेशक मंडल के आदेश के बाद ओबरा ब तापघर में 1991, अनपरा ए, बी एवं डी में 2584, हरदुआगंज डी में 751, ई में 356, परीछा में 1350, पनकी में 486, जवाहरपुर में 321 एवं मुख्यालय पर 440 पद रह गये हैं। ओबरा परियोजना में भारी कमी
तापीय परियोजनाओं में सबसे पुरानी ओबरा की हालत ज्यादा खराब है। कभी 8500 के करीब कर्मचारियों वाले पावर हाउस में वर्तमान में 1800 के करीब कर्मचारी रह गये हैं। हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि समूह घ में कभी 1900 के करीब कर्मचारी होते थे जो वर्तमान में घटकर 350 के करीब रह गये हैं। यही हाल समूह ग का भी है। जिसमें 2200 के सापेक्ष अब मात्र 1350 कर्मचारी ही रह गये हैं। समूह ग में यह हालत तब है जब विखंडन के बाद सबसे ज्यादा नई नियुक्तियां इसी श्रेणी में हुई हैं। इसी श्रेणी में अवर अभियंताओं की स्थिति और खराब है। खासकर सिविल वर्ग में सबसे ज्यादा खराब है। यही हाल सिविल में सहायक अभियंताओं का भी है। कुल 26 सृजित पदों के सापेक्ष मात्र सात अवर अभियंता ही कार्यरत हैं। कार्यालय सहायक, सहायक अध्यापक प्राइमरी व जूनियर हाईस्कूल, लैब अटेंडेंट, सहायक लाइब्रेरियन सहित कुशल श्रमिकों की भारी कमी है। परियोजना में वर्तमान में सभी श्रेणियों में मानव शक्ति की भारी कमी महसूस की जा रही है।