लॉकडाउन में रेलवे को करोड़ों रुपये की क्षति
लॉकडाउन के 51 दिन की अवधि में कृष्णशिला रेलवे स्टेशन को कोयला ढुलाई पर अर्जित होने वाला लगभग सौ करोड़ रूपये राजस्व की क्षति होने का आंकलन किया जा रहा है।
जासं, अनपरा (सोनभद्र) : लॉकडाउन के 51 दिन की अवधि में कृष्णशिला रेलवे स्टेशन को कोयला ढुलाई पर अर्जित होने वाला लगभग सौ करोड़ रुपये राजस्व की क्षति का अनुमान है। मालगाड़ी स्टेशन पर खड़ी है और कोलयार्ड में कोयले का भंडार लगा हुआ है। विभिन्न औद्योगिक संस्थानों द्वारा समुचित कोयले की मांग नहीं की जा रही है। कोयले के भंडारण में आग लगा हुआ है। कृष्णशिला रेलवे साइडिग से प्रतिदिन 6-7 रैक निकासी की जगह महज 3-4 रैक की निकासी लोकल में हो रही है। यही कमोवेश हालात मध्यप्रदेश स्थित सिगरौली जनपद मे एनसीएल की कोयला ढुलाई के लिए बना अन्य रेलवे साइडिग का है। प्रतिदिन हो रही करोड़ों रुपये की क्षति
कृष्णशिला रेलवे स्टेशन से अमूमन प्रतिदिन चार रैक कोयला श्रीपत, कोटा, हरियाणा आदि जगहों के लिए मालगाड़ी से जाता था, जिसमें दूरी के हिसाब से रेलवे को एक रैक का भाड़ा 70 से 80 लाख रुपये मिलता था। लोकल में अनपरा, ओबरा तथा प्रयागराज के लिए तीन रैक कोयला भेजा जाता था। इसमें प्रति रैक अनपरा-ओबरा का भाड़ा आठ से दस लाख तथा प्रयागराज का 20 से 22 लाख रुपये भाड़ा के रूप में अर्जित होता था। कृष्णशिला रेलवे स्टेशन की प्रतिदिन तीन घंटे के अंतराल में एक रैक कोयला डिस्पैच करने की क्षमता है। लॉकडाउन की अवधि से प्रतिदिन रेलवे को करोड़ों रुपये का नुकसान केवल भाड़े के रूप में हो रहा है। कोयला प्रेषण करने के लिए एक रैक में अमूमन 59 बोगी लगायी जाती है। लॉकडाउन से सीमित हो गए हैं ग्राहक
लॉकडाउन के चलते बिजली की मांग में कमी बनी हुयी है। तापीय परियोजनाएं पहले से कोयले की स्टाक व विद्युत खपत कम होने से आवक कम कर दी है। जिससे रेलवे एवं एनसीएल दोनो को भारी क्षति उठानी पड़ रही है। सरकार द्वारा जारी निर्देशो के अनुपालन में एनसीएल पहले के बकाया धनराशि की भी वसूली नही कर पा रहा है। कोल डिस्पैच नहीं होने से भंडारण में लगी है आग
कृष्णशिला रेलवे साइडिग पर विभिन्न ट्रांसपोर्टरो द्वारा मालगाड़ी से कोयला भेजने के लिए कोयले का भंडारण किया गया है। लाकडाउन के चलते पूर्व की तरह कोयले का डिस्पैच नहीं होने से कोयला स्टाक में आग लगी हुयी है। सूत्रों के मुताबिक अभी तक दो रैक कोयला जलकर राख होने का अनुमान लगाया जा रहा है। जिसकी कीमत करोड़ों रुपये बतायी जा रही है। कोयला काफी दिन एक जगह भारी मात्रा में भंडारण किए जाने से कार्बन डाई आक्साइड गैस में आक्सीजन मिलने से आग लग जाती है। आग से बचाव का डिस्पैच करना ही एकमात्र विकल्प होता है। जो हो नहीं पा रहा है। कृष्णशिला रेलवे स्टेशन अधीक्षक पीके सिंह ने कहा कि लॉकडाउन के चलते माल ढुलाई में 50 प्रतिशत की कमी आई है। तमाम औद्योगिक संस्थान कोयले की आवक को कम कर दी है। जिससे रैक से कोयला ढुलाई काफी प्रभावित हुआ है। पहले रैक की मांग को लेकर दिनभर माथापच्ची होती थी। अब लॉकडाउन में रेल रैक यार्ड में खड़ी रहती है।