लैंको संकट, केवल दो दिन का बचा कोयला
अनपरा की लैंको परियोजना पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। लैंको के पास फिर से कोयले की कमी हो गई है। लैंको के पास केवल दो दिनों तक पूरे लोड पर चलने तक का कोयला ही शेष बचा है।
जागरण संवाददाता, अनपरा (सोनभद्र) : अनपरा की निजी क्षेत्र की लैंको परियोजना पर एक बार फिर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। लैंको के पास फिर से कोयले की कमी हो गई है। लैंको के पास केवल दो दिनों तक पूरे लोड पर चलने तक का कोयला ही शेष बचा है। अगर लैंको को कोयले की सप्लाई लगातार नहीं मिली तो परियोजना को उत्पादन बंद करना पड़ेगा। लैंको के पास केवल 34 हजार टन कोयला ही बचा है, जिससे पूरे लोड पर अधिकतम दो दिनों तक बिजली उत्पादन किया जा सकता है।
कोयले की कमी के कारण लैंको परियोजना की मशीनों को गत महीने भी कम लोड पर चलाया जा रहा था, लेकिन बाद में कोयले की किल्लत दूर हो गई और परियोजना से पूरी क्षमता से उत्पादन शुरू हो गया था, लेकिन अब फिर से लैंको परियोजना को आधी क्षमता से चलाया जा रहा है। इस बार लैंको की दिक्कत ज्यादा गंभीर है। दरअसल परियोजना को यूपीपीसीएल से पेमेंट नहीं मिल रहा है। जिस कारण परियोजना कोयले का भुगतान नहीं कर पा रही है और भुगतान न होने की दशा में कोयला नहीं मिल पा रहा है। लैंको के यूनिट हेड संदीप गोस्वामी ने बताया कि यूपीपीसीएल से पेमेंट न मिलने और पहले से चल रही बैंक की परेशानी के कारण कोयले का नियमित भुगतान नहीं हो पा रहा है। जिस कारण कोयले की कमी हो गई है। वहीं अगर अनपरा की बाकी तीनों सरकारी परियोजनाओं की बात करें तो अनपरा की तीनों में छह लाख टन से ज्यादा कोयले का स्टाक है और एनसीएल से लगातार कोयले की सप्लाई मिल भी रही है। अनपरा परियोजना के अधिकारी बताते हैं कि सरकारी परियोजना में कभी भी कोयले की दिक्कत नहीं होती है। पिछले दिनों अनपरा तापीय परियोजना के दौरे पर आये उत्पादन निगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक अमित गुप्ता ने भी कहा था कि प्रदेश सरकार की बिजली उत्पादन परियोजना में कोयले की कमी नहीं है। हर परियोजना के पास जरूरत से ज्यादा कोयला उपलब्ध है।
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लैंको को यूपीपीसीएल से पेमेंट नहीं मिल रही है जिससे हम कोयला कंपनियों को पेमेंट नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण परियोजना में कोयल की कमी हो गई है और पूरी क्षमता से चलाये जाने पर दो दिन में कोयला समाप्त हो जायेगा। इस समय लैंको के स्टाक में 34 हजार टन कोयला ही शेष बचा है जिससे दो दिनों में बिजली बनाई जा सकती है।
-संदीप गोस्वामी, यूनिट हेड, लैंको परियोजना।