कुंभ में चार दिन होगा देशभर के आदिवासियों का संगम
प्रयागराज में चल रहा कुंभ इस बार कई ऐतिहासिक आयोजनों का साक्षी बन रहा है। प्रवासी भारतीयों के आगमन के बाद अब चार दिन तक यहां देशभर के आदिवासी-जनजातियों का सम्मेलन होगा।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : प्रयागराज में चल रहा कुंभ इस बार कई ऐतिहासिक आयोजनों का साक्षी बन रहा है। प्रवासी भारतीयों के आगमन के बाद अब चार दिन तक यहां देशभर के आदिवासी-जनजातियों का सम्मेलन होगा। जहां आदिवासी-जनजाति समाज के रीति-रिवाज, कला-संस्कृति के प्रचार-प्रसार के साथ ही पूजा पद्धतियों पर भी चर्चा की जाएगी। 12 से 15 फरवरी तक चार दिन होने वाले इस आयोजन में देशभर के राज्यों में फैले आदिवासी-जनजातियों समाज के दस हजार से अधिक लोग पहुंचेंगे। इसमें प्रमुख पुजारियों के साथ ही पारंपरिक नृत्य-कला में पारंगत कलाकार भी होंगे। जहां ¨हदू समाज के धर्म गुरुओं के साथ उनकी धर्म-संस्कृति पर चर्चा होगी। इसके साथ ही पूजा-पद्धति पर विचार-विमर्श करने के बाद उनको कुंभ में शाही स्नान कराया जाएगा।
देश के 28 राज्यों में आदिवासी-जनजातियों के लोग निवास करते हैं। जिनका रहन-सहन अधिकतर जंगलों में होने के कारण वे अभी तक अपने को समाज से कटा महसूस करते रहे हैं। ऐसे में उनकी पूजा पद्धति भी कुछ भिन्न है। इसमें से कुछ तो समाज की मुख्य धारा से भी नहीं जुड़ सके हैं। ऐसे में उनकी स्थिति को देखकर दूसरे समाज के लोग उनको तरह-तरह का प्रलोभन देकर ¨हदू-धर्म संस्कृति से भरमाने का काम कर रहे हैं। इससे आदिवासी समाज अपने को अलग-थलग समझने लगा है जबकि उनका काफी कुछ ¨हदू समाज से मिलता-जुलता है। जिसे देखते हुए सेवा समर्पण संस्थान उनको ¨हदू समाज की रीतियों-नीतियों से जोड़ने के लिए लगातार काम कर रहा है। संस्थान के सह संगठन मंत्री आनन्दजी ने बताया कि सम्मेलन की सभी तैयारी पूरी कर ली गई है। कुंभ में जंगल-पहाड़ों में रहने वाले आदिवासी समाज के संतों को प्रमुख अखाड़ों के साथ शाही स्नान की व्यवस्था बनाई गई है। सम्मेलन का उद्देश्य है आदिवासी समाज ¨हदू-धर्म संस्कृति की पूजा पद्धति से भलीभांति अवगत हो सके। इसके साथ ही जनजातियों के पुजारियों व समाज के नृत्य कला में पारंगत कलाकार ¨हदू धर्म गुरुओं से मिलकर अपनी परंपराओं को लेकर विचार-विमर्श भी करेंगे। इसके साथ ही उनकी नृत्य कला का भी प्रदर्शन होगा। जिससे इस समाज को लोग बरगला न सकें और इनमें ¨हदू धर्म के प्रति आस्था जागृत हो। देश के 28 राज्यों में फैली हैं जनजातियां
सेवा समर्पण संस्थान के सह संगठन मंत्री आनन्दजी ने बताया कि देश के 28 राज्यों में कुल 650 जनजातियां हैं। इनमें उत्तर प्रदेश में कुल 14 जनजातियां हैं। कुंभ में होने वाले चार दिन के सम्मेलन में सभी 650 जनजातियां के पुजारियों के साथ ही नृत्य कला में पारंगत कलाकारों के साथ लगभग दस हजार अधिक लोग शामिल होंगे। जिनके नत्य कला के प्रदर्शन के साथ ही रहन-रहन, बोलचाल, खान-पान आदि के संबंध में सम्मेलन चर्चा होगी। इसके साथ ही सभी को स्नान भी कुंभ में कराया जाएगा।