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बूंदाबादी के साथ बढ़ी गलन , फसलों ने बढ़ाई चिता

जिले में पिछले दो दिनों से मौसम का मिजाज बदलने से लोगों को एक बार फिर से ठंड का सामना करना पड़ रहा है। शुक्रवार को हल्की बारिश और बूंदाबांदी से मौसम वैसे ही ठंडा था कि शनिवार की सुबह आसमान में बादलों की मौजूदगी और कई इलाकों में हल्की बारिश ने और ठंड बढ़ा दी। इससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस बारिश से दलहनी और तिलहनी फसलों को नुकसान है और गेहूं की खेती के लिए फायदेमंद है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 08:31 PM (IST)Updated: Sun, 19 Jan 2020 06:06 AM (IST)
बूंदाबादी के साथ बढ़ी गलन , फसलों ने बढ़ाई चिता
बूंदाबादी के साथ बढ़ी गलन , फसलों ने बढ़ाई चिता

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : जिले में पिछले दो दिनों से मौसम का मिजाज बदलने से लोगों को एक बार फिर से ठंड का सामना करना पड़ रहा है। शुक्रवार को हल्की बारिश और बूंदाबांदी से मौसम वैसे ही ठंडा था कि शनिवार की सुबह आसमान में बादलों की मौजूदगी और कई इलाकों में हल्की बारिश ने और ठंड बढ़ा दी। बादलों की आवाजाही के चलते पूरे दिन सूर्यदेव के दर्शन तक नहीं हो पाए। सर्दी से बचाव के लिए लोग गर्म कपड़ों में लिपटे नजर आए।

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किसानों का कहना है कि इस समय बारिश होने से गेहूं की फसल को लाभ होगा। पौधे की मोटाई व लंबाई बढ़ेगी और फसल को नई ऊर्जा मिलेगी। लेकिन, दलहनी फसल चना, मसूर व मटर की फसल के लिए यह बारिश काफी नुकसानदेह साबित होगी। फसलों में रोग के लक्षण व बचाव :

फसल : अरहर

रोग : फली छेदक

लक्षण : इन कीड़ों के शिशु हरी फलियों में छेद करके दानों को खा डालते हैं। कीटग्रस्त फलियों में छोटे-छोटे छिद्र दिखलाई पड़ते हैं।

बचाव : अरहर में अनेक तरह के फली छेदक का आक्रमण होता है। इनसे बचाव के लिए दो या तीन बार कीटनाशक दवा का छिड़काव करना चाहिए। पहला छिड़काव इंडो सल्फान तरल का उस समय किया जाता है, जब फसलों में 50 प्रतिशत फूल आते हैं। दूसरा छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर मोनोक्रोटो़फस तरल से किया जाना चाहिए।

------------------------ फसल : चना

रोग : फलीछेदक

लक्षण : हरे-हरे पिल्लू (शिशु कीट) चना के हरी-हरी फलियों में छेद करके उनमें पड़े हुए दानों को खा डालते हैं।

बचाव के उपाय : फली छेदक के नियंत्रण के लिए इंडोसल्फान तरल 1 मि.ली./लीटर पानी या क्वीनाल़फॉस तरल 1.2 मि.ली./लीटर पानी का छिड़काव करें।

-------------- फसल : सरसों

रोग : माहू

लक्षण : माहू सरसों के फूलों को चूस लेती हैं। इससे फूल सूखने लगता है और उसमे दाने नहीं पड़ते हैं।

बचाव के उपाय : माहू लगने से सरसों की फसल में क्लोरोपाइरीफास एक लीटर दवा 600 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें या इमिडा क्लोरोपिड रोगार नाम की दवा 300 एमएल मात्रा को 600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए। ऐसे मौसम तिलहनी-दलहनी फसलों को नुकसान है। आसमान में बादल छाये रहने से सरसों में माहू लगने की सबसे अधिक संभावना बनी रहती है। किसानों अपने खेतों का निरीक्षण करते रहना चाहिए। फसलों में कीट पतंग का असर दिखने पर तुरंत दवाओं का छिड़काव करना चाहिए।

-डीडी गुप्ता, उप कृषि निदेशक।


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