कबीर तेरी वाणी के कद्रदान अब नहीं रहे..
शक्तिनगर की संस्था सोन संगम के तत्वावधान में कबीर जयंती पर शुक्रवार को आनलाइन विचार गोष्ठी एवं कवि समागम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सोनभद्र एवं सिगरौली समेत वाराणसी रीवा एवं नई दिल्ली के हिन्दी सेवियों ने सहभागिता की।
जासं, शक्तिनगर (सोनभद्र) : शक्तिनगर की संस्था सोन संगम की ओर से कबीर जयंती पर शुक्रवार को आनलाइन विचार गोष्ठी एवं कवि समागम का आयोजन हुआ। इसमें सोनभद्र एवं सिगरौली समेत वाराणसी, रीवां एवं नई दिल्ली के हिन्दी सेवियों ने सहभागिता की। अध्यक्षता अपर महाप्रबन्धक, एनटीपीसी रामागुण्डम, तेलंगाना आलोक चन्द्र ठाकुर एवं संचालन डा. मानिक चंद पांडेय ने किया। संचालक मानिक चंद पांडेय ने कबीर के जीवन एवं शिक्षाओं का सार प्रस्तुत करते हुए उन्हें भारतीय अध्यात्म एवं सामाजिक विद्रोह का प्रखर सूर्य बताया।
योगेन्द्र मिश्र ने कबीर की रचना 'मोको कहां ढूंढे बंदे, मैं तो तेरे पास में..', 'झीनी रे बीनी चदरिया.' आदि का पाठ किया। नई दिल्ली के विभव त्रिपाठी ने 'बदरा उमड़- घुमड़ घर आये..' गीत सुनाकर आषाढ़ की अगवानी की। रीवा के आशीष मिश्र ने 'तुम क्यों आए इतने करीब..' कविता से प्रेम की पीर को स्वर दिया। वाराणसी से मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ने अपनी रचना 'कबीर तेरी वाणी के कद्रदान अब नहीं रहे..' सुनाकर उनके विद्रोही स्वरूप को याद किया। सीएमपीडीआइ सिगरौली के महाप्रबंधक उमाकांत यादव व सुशील शर्मा, रेणुकूट से एसडीओ फारेस्ट मनमोहन मिश्र व जयंत के रामखेलावन मिश्र ने कविता सुनाई। अध्यक्षता आलोक चन्द्र ठाकुर ने की।