बढ़ते प्रदूषण सांस के रोगियों की संख्या बढ़ी
पर्यावरण संबंधी योजनाओं का ऊर्जांचल में प्रभावी असर नहीं होने से क्षेत्र में प्रदूषित एवं विषाक्त वातावरण का साम्राज्य कामय हो गया है। धुंआ राख कोयला आदि से लोगों को श्वांस लेना भी दूभर हो गया है।
जासं, अनपरा (सोनभद्र) : पर्यावरण संबंधी योजनाओं का ऊर्जांचल में प्रभावी असर नहीं होने से क्षेत्र में प्रदूषित एवं विषाक्त वातावरण का साम्राज्य कायम हो गया है। धुआं, राख, कोयला आदि से लोगों को सांस लेना भी दूभर हो गया है। दिन-रात खनन होने से भूगर्भ जल स्त्रोत भी दिन-प्रतिदिन विषाक्त हो रहे हैं। स्थानीय परियाजनाओं की ऊंची चिमनियों से निकलने वाला राखयुक्त धुआं चौतरफा छा जाता है। सड़कों पर दिन-रात डंपरों से राख एवं कोयले की हो रही ढुलाई कोढ़ में खाज का काम कर रही है। क्षेत्र में रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। औद्योगिक कालोनियों समेत आसपास के गांवों में नेत्र रोगियों की संख्या बढ़ रही है। औड़ीमोड़ निवासी श्रीराम पांडेय ने कहा कि पर्यावरण संतुलन के लिए शासन स्तर से अनेक योजनाएं क्रियान्वित हैं। लेकिन योजनाओं का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। इसका परिणाम है कि ऊर्जानगरी प्रदूषण की गिरफ्त में तेजी से समाती जा रही है।