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अन्य राज्यों में यहां के उत्पाद की बढ़ी मांग

प्रदेश के सर्वाधिक वनों वाले जनपदों में शामिल सोनभद्र का उत्पाद अब लखनऊ सहित दिल्ली व उत्तराखंड तक जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2020 11:14 PM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2020 11:14 PM (IST)
अन्य राज्यों में यहां के उत्पाद की बढ़ी मांग
अन्य राज्यों में यहां के उत्पाद की बढ़ी मांग

संतोष दुबे

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बभनी (सोनभद्र): प्रदेश के सर्वाधिक वनों वाले जनपदों में शामिल सोनभद्र का उत्पाद अब लखनऊ सहित दिल्ली व उत्तराखंड तक जाएगी। हर्रा, बहेरा, आंवला का चूर्ण और अन्य औषधीय गुणों वाली खाद्य सामग्री की आपूर्ति का जिम्मा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं के कंधे पर होगा। इसके लिए ट्राइफेड (द ट्राइबल कोआपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन) कंपनी से करार भी हो गया है। महिलाएं बभनी के असनहर में पैकिग भी करना शुरू कर दिया है।

जंगली क्षेत्रों में वहां के आदिवासी दिन भर में वनोपज इकट्ठा करते हैं, लेकिन स्थानीय बाजार में उन्हें इसका उचित मूल्य नहीं मिलता। इस स्थिति में आजीविका मिशन का यह प्रयास वनोपज का सही पहचान दिलाने और आदिवासियों को रोजगार देने में काफी अहम होगा। औषधीय पौधों पर काम करने वाले डा. आरएस सिंह बताते हैं कि विध्य क्षेत्र में सबसे ज्यादा औषधीय गुण वाले पौधे हैं।

अभी कहां तक हुई है तैयारी

उत्तराखंड व लखनऊ भेजने के लिए असनहर गांव की जय मां दुर्गा स्वयं सहायता समूह की महिलाएं पैकिग का काम कर रही हैं। समूह की ब्लाक मिशन प्रबंधक मिथलेश पांडेय ने बताया कि इस समूह से एक क्विटल मक्का, 50 किलो तिल, 50 किलो मूंगफली 200 झाड़ू के साथ-साथ वनोपज भेजने के लिए आर्डर आया है। 15 समूह इकट्ठा करेंगे वनोपज

आजीविका मिशन की महिलाओं द्वारा निर्मित सामग्री और उत्पाद को जिस कंपनी के माध्यम से बाहर भेजा जाएगा उसी के माध्यम से वनोपज भी भेजने की तैयारी है। वन निगम के सेक्शन अधिकारी डीपी यादव बताते हैं कि बभनी ब्लाक क्षेत्र में कुल 15 समूह चयनित किए गए हैं। यहां से हर्रा, बहेरा, आंवला का चूर्ण भेजा जाएगा।

हर्रा, बहेरा और आंवला करता है पांचन तंत्र को ठीक

जिला अस्पताल के आयुष चिकित्सक डा. विनोद कुमार बताते हैं कि पाचन तंत्र ठीक करने में त्रिफला काफी मददगार होता है। आंवला, हर्रा और बहेरा तीनों में ऐसे गुण मिलते हैं जो आंत से लेकर पेट तक को ठीक रखता है। इससे हृदयरोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, नेत्ररोग, पेट के विकास समाप्त होते हैं। इसमें मिलने वाले हरीतकी (हरण) का काम विरेचन है। आमलकी यानी आंवला का काम है प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना, विभितक यानी बहेरा मल बद्धता को दूर करता है। ये तीनों मिलाकर बनते हैं त्रिफला।


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