सुविधा के अभाव में महिला ने सड़क पर जना बच्चा
एक निर्धन महिला का प्रसव अगर बीच सड़क पर हो तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश की सबसे पुरानी विधुत कालोनी एवं दूसरी सबसे बड़ी नगर पंचायत ओबरा में प्रसव कराने की कैसी व्यवस्था है।
जासं, ओबरा (सोनभद्र) : प्रदेश सरकार व स्वास्थ्य विभाग के तमाम दावों के बीच अगर एक निर्धन महिला का प्रसव बीच सड़क पर हो तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति जिले में क्या है। प्रदेश की सबसे पुरानी विद्युत कालोनी व दूसरी सबसे बड़ी नगर पंचायत ओबरा में महिलाओं के उपचार व प्रसव की कैसी व्यवस्था है। क्यों नीति आयोग की रैकिग में जिला पिछड़े की श्रेणी में है।
नगर के एकमात्र परियोजना चिकित्सालय में प्रसव की व्यवस्था न होने के कारण व एंबुलेंस के अभाव में सोमवार की रात अतिव्यस्त चोपन रोड पर भलुआ टोला की सुषमा ने एक बच्चे को जन्म दिया। सड़क पर प्रसव की जानकारी होने पर नगर के लोग स्वास्थ्य विभाग को कोसते हुए घटना को लेकर दंग रह गए। हुआ यह कि सोमवार रात को जब सुषमा को पीड़ा हुई तो उसके पति जितेंद्र ओबरा में प्रसव की व्यवस्था न होने के कारण उसे चोपन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाने के लिए किसी तरह चोपन रोड पर पहुंचे। सुषमा का दर्द बढ़ते जा रहा था। इस बीच किसी राहगीर ने सरकारी एंबुलेंस को फोन किया लेकिन एंबुलेंस के न पहुंचने पर महिला का दर्द असहनीय हो गया। वह सड़क पर ही दर्द से ढेर हो गई। साथ में मौजूद महिलाओं सहित आसपास की महिलाओं की मदद से बीच सड़क पर ही उसका प्रसव कराना पड़ा। भारी पीड़ा के बीच सुषमा ने एक पुत्र को जन्म दिया। प्रसव होने के बाद भी एंबुलेंस के न पहुंचने पर जच्चा और बच्चा को पुन: घर वापस ले जाया गया। बाद में पहुंची एंबुलेंस ने दोनों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चोपन ले गई। जहां शाम तक जच्चा व बच्चा की हालत ठीक बताई जा रही है। परियोजना चिकित्सालय को लेकर पुन: बढ़ी चिता
गत एक दशक में ओबरा तापीय परियोजना में अनुरक्षण के नाम पर 3000 करोड़ से ज्यादा खर्च किया गया। वर्तमान में जनपद में अभी तक की सबसे ज्यादा 10400 करोड़ लागत वाली परियोजना ओबरा-सी का निर्माण चल रहा है। इसके अलावा प्रदेश को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले व्यवसायिक क्षेत्र में एक बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र भी ओबरा से सटा हुआ है। इसके बावजूद ओबरा में मौजूद एकमात्र परियोजना चिकित्सालय में प्रसव की भी व्यवस्था न होना शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। परियोजना चिकित्सालय की बदतर स्थिति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां जीवन के सबसे बड़े स्पष्ट इमरजेंसी के तौर पर प्रसव की फिलहाल अपेक्षित व्यवस्था नहीं है। गत डेढ़ वर्ष से चिकित्सालय का लेबर वार्ड बंदी जैसी हालत में है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं के लिए ओबरा में प्रसव कराने की व्यवस्था खत्म हो गई है। वर्तमान में ज्यादातर प्रसव के लिए गर्भवती महिलाओं को ओबरा के बाहर जाना पड़ रहा है। दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र में चिकित्सा की बदतर हालत ने अच्छे दिनों के नारे को स्पष्ट आईना दिखाया है।