बिजली की मांग और आपूर्ति में भारी वृद्धि
विद्युत उत्पादन के मामले में पिछले कई दशको से संकट झेल रहे प्रदेश में कई नई इकाइयों सहित अनुरक्षित इकाइयों के चालू होने के कारण संकट में भारी कमी आई है। खासकर पावर टू आल योजना के तहत केन्द्रीय पूल से मिल रही पर्याप्त बिजली के कारण अघोषित कटौतियों में काफी कमी आई है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान बिजली की मांग और आपूर्ति में भारी वृद्धि दर्ज हुयी है। पिछले पांच वर्षों के दौरान मांग के आकड़े में जहां आठ हजार मेगावाट की वृद्धि हुयी है वहीं उपलब्धता में भी सात हजार मेगावाट से ज्यादा की वृद्धि हुयी है। प्रदेश की योगी सरकार के लिए ढाई वर्ष पूरे होने पर बिजली की मांग और आपूर्ति में अंतर कम होना बड़ी राहत का विषय हैं।
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : विद्युत उत्पादन के मामले में पिछले कई दशकों से संकट झेल रहे प्रदेश में कई नई इकाइयों सहित अनुरक्षित इकाइयों के चालू होने के कारण संकट में भारी कमी आई है। खासकर, पावर टू आल योजना के तहत केन्द्रीय पूल से मिल रही पर्याप्त बिजली के कारण अघोषित कटौतियों में काफी कमी आई है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान बिजली की मांग और आपूर्ति में भारी वृद्धि दर्ज हुई है। पिछले पांच वर्षों के दौरान मांग के आकड़ों में जहां आठ हजार मेगावाट की वृद्धि हुई है वहीं उपलब्धता में भी सात हजार मेगावाट से ज्यादा की वृद्धि हुई है। प्रदेश की योगी सरकार के लिए ढाई वर्ष पूरे होने पर बिजली की मांग और आपूर्ति में अंतर कम होना बड़ी राहत का विषय हैं। मांग और उपलब्धता के बने रिकार्ड
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में ही मांग और आपूर्ति के आधा दर्जन से ज्यादा बार रिकार्ड टूटे हैं। वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में जहां बिजली की अधिकतम प्रतिबंधित मांग 23 जुलाई को रिकार्ड 22599 मेगावाट तक पहुंच गयी वहीं उपलब्धता भी रिकार्ड 21632 मेगावाट तक बनाने में सफलता पायी। महाराष्ट्र के बाद उत्तर प्रदेश दूसरा प्रदेश बना जहां बिजली की मांग ने 22 हजार मेगावाट का आंकड़ा छूआ। चालू वित्त वर्ष में ही लगातार छठवीं बार बिजली की अधिकतम मांग का रिकार्ड बना। इससे पहले बीते 11 जून रात 20.24 बजे अधिकतम मांग तक पहुंच गयी थी। इससे पहले 29 व 28 मई को नया रिकार्ड बना था। विदित हो कि बीते 9 मई की रात में अधिकतम प्रतिबंधित मांग का पिछले वर्ष 22 मई 2018 को बना 20498 मेगावाट का रिकार्ड टूट गया था। नौ मई की रात को प्रतिबंधित मांग 20842 मेगावाट तक पहुंच गई थी लेकिन, इस रिकार्ड को पीछे छोड़ते हुए 10 मई को मांग पहली बार 21 हजार मेगावाट को पार कर 21281 मेगावाट पहुँच गयी थी । वहीं चालू वित्त वर्ष में बिजली की उपलब्धता का भी रिकार्ड बना,जब पहली बार 21 हजार मेगावाट से ज्यादा की आपूर्ति की गयी। बीते 12 अगस्त को 21632 मेगावाट की उपलब्धता कर नया रिकार्ड बनाया गया। इससे पहले बीते 30 मई को प्रदेश के इतिहास में पहली बार 21493 मेगावाट की रिकार्ड उपलब्धता बनाई गयी थी। कई क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता
बिजली की मांग और आपूर्ति के बीच की खाई को काफी हद तक दूर करने के बावजूद अभी भी कई बुनियादी समस्याओं के कारण कई क्षेत्रों में स्थिति संकटकालीन बनी हुयी है। खासकर ग्रामीण और तहसील मुख्यालयों में प्रतिबंधित शेड्यूल के आधार पर आपूर्ति में बाधा उत्पन्न हो रही है। प्रदेश में विद्युत वितरण के उपकेन्द्र, स्विचगियर, कण्डक्टर, ट्रान्सफार्मर आदि अनेक स्थानों पर अभी भी 24 घण्टे विद्युत आपूर्ति करने के लिए सु²ढ़ एवं सक्षम नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां विद्युत आपूर्ति के घण्टे कम हैं वहां सबसे अधिक लाइन हानियां भी है। फिलहाल सभी घरों तक बिजली पहुंचाना, निरन्तर बढ़ रही मांग के अनुरूप ट्रांसमिशन सिस्टम, वितरण प्रणाली को सु²ढ़ व उच्चीकृत करना, स्मार्ट मीटरिग, बिजली चोरी रोकने के लिए प्रभावी कार्यवाही करना, ग्रामीण क्षेत्र में घरेलू और ट्यूबवेल के बिजली फीडर अलग-अलग करने आदि कार्यों को करना एक बड़ी चुनौती है। बिजली की मांग व उपलब्धता
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वित्त वर्ष प्रतिबंधित मांग(मेगावाट) आपूर्ति(मेवा)
2019-20(अगस्त तक)- 22599 21632
2018-19 20498 20062
2017-18 20274 18061
2016-17 17183 16110
2015-16 14927 14503
2014-15 14562 13003