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योग व पर्यावरण संरक्षण से जगा रहे स्वास्थ्य क्रांति

वर्ष 2006 से सक्रिय तौर पर योग का प्रशिक्षण दे रहे ओबरा के योग शिक्षक वीरेंद्र श्रीवास्तव मानते हैं कि स्वस्थ रहने के लिए हमें प्रकृति को समझना जरूरी है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Aug 2019 09:14 PM (IST)Updated: Mon, 19 Aug 2019 06:32 AM (IST)
योग व पर्यावरण संरक्षण से जगा रहे स्वास्थ्य क्रांति
योग व पर्यावरण संरक्षण से जगा रहे स्वास्थ्य क्रांति

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : वर्ष 2006 से सक्रिय तौर पर योग का प्रशिक्षण दे रहे ओबरा के योग शिक्षक वीरेंद्र श्रीवास्तव मानते हैं कि स्वस्थ रहने के लिए हमें प्रकृति को समझना जरूरी है। वे मानते हैं कि योग सही तरह से जीने का विज्ञान है इसलिए इसे दैनिक जीवन में इसे शामिल किया जाना चाहिए। यह हमारे जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक आदि पहलुओं पर काम करता है। व्यवहारिक स्तर पर योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने और तालमेल बनाने का साधन है। ऐसे में समाज के सभी व्यक्ति में योग का प्रसार होना आवश्यक है। गत एक दशक के दौरान कई प्रदेशों सहित सोनभद्र के तमाम हिस्सों में एक लाख से ज्यादा लोगों को योग का प्रशिक्षण दे चुके वीरू (उपनाम) योग गुरु बाबा रामदेव की प्रेरणा को अपने जीवन की दिशा तय करने वाला बताते हैं।

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बताते हैं कि अभी तक योग के माध्यम से दस हजार से ज्यादा मरीजों को लाभ दिला चुके हैं। जिनमें मोटापा, मधुमेह, रक्तचाप, कब्ज, दमा, दर्द, कोलाइटिस, एकाजमा सहित तमाम बीमारियां शामिल है। परियोजना में बतौर कार्यालय सहायक के पद पर कार्यरत वीरू अच्छे रंगकर्मी भी हैं। ग्राम जमुआरी जिला आजमगढ़ के निवासी वीरेंद्र श्रीवास्तव ने गांव के लाल बहादुर शास्त्री हाईस्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा शुरू की। उसके बाद डीएवी इंटर कालेज से हाईस्कूल करने के बाद वे 1979 में ओबरा आ गये। ओबरा इंटर कालेज से इंटर करने के बाद ओबरा डिग्री कालेज से 1985 में स्नातक की शिक्षा पूरी की। उसी वर्ष ओबरा परियोजना में कार्यालय सहायक के पद पर उन्हें नियुक्ति मिली। वर्ष 2003 आते आते वे स्वयं भी कई बीमारियों के चपेट में आ गये। उसी दौरान टीवी पर बाबा रामदेव के 20 मिनट के कार्यक्रम ने उनके जीवन को बदल डाला। योग से वे इतने प्रभावित हुए कि 2006 में वे पतंजलि योगपीठ हरिद्वार पहुंच गये। वहां उन्होंने योग का प्रशिक्षण प्राप्त किया। उसके बाद समाज को योग से जोड़ने की उनकी यात्रा शुरू हुई। 2007 में पतंजलि योग समिति का गठन हुआ, जिसमें उन्हें संगठन मंत्री का दायित्व मिला। सामान्य योग शिविरों के अलावा 2009 से ही वे लगातार योग शिक्षक प्रशिक्षण शिविर चला रहे हैं। जिससे अभी तक 2500 से ज्यादा सहयोग शिक्षक, मुख्य योग शिक्षक सहित भारत स्वाभिमान के सदस्य बन चुके है। ये सभी योग शिक्षक तमाम क्षेत्रों में योग की अलख जगाने के साथ लोगों को स्वस्थ कर रहे हैं। वर्ष 2009 में उन्हें आदर्श योग शिक्षक के सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। पर्यावरण संरक्षण पर जोर

वीरेंद्र श्रीवास्तव के अनुसार अगर हमारा पर्यावरण अच्छा रहेगा तो हमारा स्वास्थ्य भी सही रहेगा। इसीलिए हमारा प्रयास है कि हमारा पर्यावरण भी समृद्ध हो। इसलिए मानसून सत्र के दौरान पर्यावरण संरक्षण के तहत पांच हजार पौधों का रोपण किया जा रहा है। इसमें ज्यादातर पौधे गिलोय, तुलसी, आंवला, एलोबेरा, छुईमुई, नीम सहित औषधीय गुणों वाले हैं। भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के जिला प्रभारी के तौर पर वीरू रोजाना योग और पर्यावरण संरक्षण के लिए अपना काफी समय देते हैं वे कहते हैं कि योग भारतवर्ष की वैदिक परम्परा है। योग पर हमारे ऋषि मुनियों ने हजारों वर्ष शोध किया है। योग करने वाले व्यक्ति की कभी भी अकाल मृत्यु नहीं हो सकती है। यह जीवन जीने की एक कला है। महर्षि पतंजलि का अष्टांग योग से मानव सदैव स्वस्थ रह सकता है।


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