प्यास बुझाने के लिए चुआड़ के जल का सहारा
डपम्प सूखने लगे हैं वहीं जंगल क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए चुआड़ का पानी एक बार फिर से जीवन का सहारा बना हुआ है। पहाड़ से अपने आप निकलने वाले पानी की स्वच्छता को देख लगता है कि वह फिल्टर के पानी से कम नहीं है।
जासं, डाला (सोनभद्र): प्रचंड गर्मी के कारण जहां हैंडपंप सूखने लगे हैं वहीं जंगल क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए चुआड़ का पानी एक बार फिर से जीवन का सहारा बना हुआ है। पहाड़ से अपने आप निकलने वाले पानी की स्वच्छता को देख लगता है कि वह फिल्टर के पानी से कम नहीं है।
चोपन ब्लाक की सबसे बड़ी जनसंख्या वाला ग्राम पंचायत कोटा के कई टोले पहाड़ों के ऊपर बसे हुए हैं। यह टोले घनें न होकर छिटपुट होकर यहां-वहां बसे हें। इस कारण यहां पर लगे हैंडपंप गर्मी के शुरू में ही पानी को छोड़ देते हैं। जलस्तर नीचे चले जाने से हैंडपंप का पानी निकलना भी बंद हो जाता है। पतेरा टोला के मुन्नीलाल ने बताया कि हर वर्ष वह मई व जून के माह में वह लोग चुआड़ के पानी पर निर्भर रहते हैं। बताया कि वह लोग इस पानी से खाना, पीना व नहाना सभी कार्य करते हैं। गांव निवासी मुनिया, छोटेलाल, अजय कुमार, बुल्लू आदि लोगों ने बताया की बरसात के दिनों में जब नाले में गंदा पानी भर जाता है तब उन लोगों को साफ पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। कोटा ग्राम पंचायत के भवानी कटरिया, गौराही, पटिहवां, अबाडी़, झुलूहवां, सकला, मेटिया डाड़, बभनमरी, कानोपान, सरपतवा के टोलों में पीने के पानी की समस्या हर वर्ष बनी रहती है। इस बाबत प्रधान प्रतिनिधि पवन कुमार ने बताया कि खराब हैंडपंपों को बनाने का कार्य चल रहा है। पिछले वर्ष गांव में पानी सप्लाई के लिए जिन टैंकरों को लगाया गया था, उसका अभी तक पूरा भुगतान नहीं हुआ है। इसके कारण इस वर्ष वह पानी देने से इन्कार कर दिए हैं।