खुद के लिखे गीत से सोच बदल रहीं हैं छात्राएं
उच्च प्राथमिक विद्यालय नौटोलिया की छात्राओं ने गांव की ही भाषा में गीत लिखा है। उच्च प्राथमिक विद्यालय नौटोलिया की छात्राओं ने गांव की ही भाषा में गीत लिखा है।
जागरण संवाददाता, डाला (सोनभद्र): बालिका शिक्षा को बढ़ावा देकर विकास की गति को तेज करने के लिए वैसे तो शासन से लेकर प्रशासन तक सक्रिय है। तमाम ऐसे स्वयंसेवी संगठन भी हैं जो इनकी शिक्षा के लिए काम करते हैं। ..लेकिन सोनांचल में एक स्कूल की छात्राओं का ऐसा समूह है जो स्वलिखित गीत के माध्यम से समाज की रूढि़यों को खत्म कर बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने की अपील करता है। ये जहां भी जाती हैं अपनी यह गीत जरूर सुनाती हैं। साथ ही उस आयोजन में आने वाले लोगों से लड़कियों को शिक्षित कर विकास की गति को तेज करने में सहयोग की अपील भी करती हैं।
जी हां, हम बात कर रहे हैं चोपन ब्लाक के उच्च प्राथमिक विद्यालय नौटोलिया का। यहां की छात्राओं एक समूह है। समूह की छात्राओं ने मिलकर गांव-देहात में लड़कियों की शिक्षा की हकीकत को बयां करता गीत लिखा है। जब भी इलाके में कहीं कोई आयोजन होता है तो ये छात्राएं उस आयोजन में पहुंचकर यह गीत जरूर सुनाती हैं। गीत के माध्यम से ही अपील करती हैं कि बालिका शिक्षा के लिए समाज के हर वर्ग की सोच बदलनी होगी तभी विकास तेजी से होगा। गंवई भाषा में लिखा है गीत
उच्च प्राथमिक विद्यालय नौटोलिया की छात्राओं ने गांव की ही भाषा में गीत लिखा है। आदिवासी छात्राएं अपने समाज व माता-पिता के जीवन से संबंधित हकीकत को लोकगीत के माध्यम से उकेर कर लोगों तक पहुंचाती हैं। पढ़े के समइया में बाबूजी पढ़े नाहीं देहला, कलमे के बदले बाबूजी हसुआ धरवल.., रूकल बा विकास बाबू रूकल बा विकास हो, पढ़ाई बिना हमनी के रूकबल बा विकास हो..। जैसे गीत के माध्यम से बताती हैं कि जब लड़कियों के पढ़ने की उम्र होती हैं तो परिवार के लोग मजदूरी में लगा देते हैं। शिक्षा के अभाव में बालिकाओं का विकास भी काफी पिछड़ जाता है। इतना ही नहीं कई क्षेत्र का विकास तो पूरी तरह से रूक सा जाता है। गीत गाने वाली छात्राओं में उर्मिला, दीपावली, सुधा, संगीता, प्रियंका, ¨पकी शामिल हैं।