समय के साथ बदलता गया जामा मस्जिद का स्वरूप
जागरण संवाददाता, सोनभद्र: राबर्ट्सगंज नगर के मध्य स्थित जामा मस्जिद का इतिहास सदियों पुराना है
जागरण संवाददाता, सोनभद्र: राबर्ट्सगंज नगर के मध्य स्थित जामा मस्जिद का इतिहास सदियों पुराना है। समय के साथ मस्जिद के स्वरूप में जहां व्यापक बदलाव हुआ है वहीं मस्जिद के प्रति मुस्लिम समाज के लोगों की आस्था और भी प्रगाढ़ होती जा रही है।
वरिष्ठ नागरिक जाफर हुसैन ने बताया कि वर्ष 1881-82 में हुए सर्वे के दौरान भी राबर्ट्सगंज नगर में जामा मस्जिद अभिलेखों में शामिल था। वर्ष 1928 में राबर्ट्सगंज टाउन एरिया का गठन किया गया। इसके बाद वर्ष 1940-41 में हुए सर्वे में भी मस्जिद का अस्तित्व बरकरार रहा। प्रारंभ से ही जामा मस्जिद मुस्लिम समाज के लोगों के लिए अगाध आस्था का केंद्र था। पहले मस्जिद का निर्माण कच्चा था। समय के साथ इसके स्वरूप में परिवर्तन होता गया। वर्ष 1970 के पूर्व से ही मस्जिद के पक्कीकरण का कार्य प्रारंभ कर दिया गया था। चार मीनारों के मध्य में स्थित विशालकाय गुंबद मस्जिद की सुंदरता में चार चांद लगा रहा है। प्रत्येक जुमे को मस्जिद में एक हजार से अधिक नमाजियों द्वारा नमाज अदा किया जाता है। रमजान में तो यह संख्या और भी अधिक हो जाया करती है। प्रतिदिन तरावीह के नमाज के दौरान भी सैकड़ों लोगों द्वारा इबादत की जाती है। दीवारों व छतों पर लगाये गये शीशे
सोनभद्र: अंजुमन इस्लामिया कमेटी के सदर मुश्ताक खान ने बताया कि रमजान के ठीक पूर्व मस्जिद में आवश्यक कार्य कराये गये हैं। दो मंजिले मस्जिद में वाल पुट्टी के साथ दीवारों व छतों पर शीशा लगवाया गया है। कुछ दिन पूर्व ही चारों मीनारों की ऊंचाई बढ़ाई गयी है। नमाजियों की सुविधा को देखते हुए मस्जिद में चार एसी लगवाया गया है। मजहबी कार्यों के निष्पादन हेतु बड़े इमाम व नायब इमाम बखूबी अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं।