फ्लोराइड रिमूवल प्लांट खराब, शुद्ध पानी हुआ सपना
जागरण संवाददाता सोनभद्र जिले के फ्लोराइड प्रभावित 269 गांवों के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध क
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : जिले के फ्लोराइड प्रभावित 269 गांवों के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए लगाए गए 1054 रिमूवल प्लांटों में से ज्यादातर खराब हो गए हैं। ग्राम पंचायतों की तरफ से इसकी मरम्मत नहीं कराई जा रही है। इससे लोगों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है। दूषित पानी का सेवन करने से ग्रामीण विभिन्न प्रकार की बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। सबसे ज्यादा फ्लोरोसिस पीड़ितों की संख्या बढ़ रही है।
दुद्धी क्षेत्र के झारोकलां, मनबसा, झारोखुर्द, कटौली, मझौली व चोपन ब्लाक के पड़रक्ष, पिपरहवा, नई बस्ती, झिरगाडंडी, रोहनियादामर आदि गांवों में लगा फ्लोराइड रिमूवल प्लांट अब शोपीस बनकर रह गया है। वर्षों से उसकी न तो किट बदली गई है और ना ही उसकी कोई सुधि ले रहा है। ग्रामीण राम नरेश ने बताया कि चार वर्ष पूर्व रिमूवल प्लांट फिल्टर बदला गया था। आदिवासी बहुल जिले में फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्र के हजारों बाशिदे जिदगी-मौत से जूझने के लिए छोड़ दिए गए हैं।
इससे राहत के लिए स्थापित 1054 फ्लोराइड रिमूवल प्लांटों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। प्लांटों के स्थापना के दौरान एक कंपनी को प्लांटों के अनुरक्षण का कार्य करने की जिम्मेदारी मिली थी, लेकिन कुछ माह तक ही अनुरक्षण का कार्य करने के बाद संस्थान ने कार्य करना बंद कर दिया। इसके चलते प्लांट खराब होकर शोपीस बनकर रह गए हैं। मजबूरी में ग्रामीण दूषित पेयजल पीने के लिए विवश हैं। 2013 में लगना शुरू हुआ था रिमूवल प्लांट
2001 में सेंटर फार साइंस एनवायरमेंट संस्था की तरफ से इस मामले को उठाया गया था, तब सरकार की तरफ से इसको लेकर गंभीरता बरती गई। वर्ष 2013 में एनजीटी में याचिका दाखिल हुई, तब प्रभावित गांवों में फ्लोराइड की अधिकता वाले हैंडपंपों को चिन्हित कर फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाने का काम शुरू हुआ। 2013-14 और 2014-15 में 1054 हैंडपंपों में रिमूवल प्लांट लगाए गए। अब मरम्मत की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को सौंप दी गई, लेकिन उसकी मरम्मत बस कागजों पर हो रही है।
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बोले अधिकारी-- सामग्री न मिलने से फ्लोराइड रिमूवल प्लांटों के मरम्मत का कार्य बाधित था। जल निगम से संपर्क किया गया है, जल्द ही कार्य कराया जाएगा।
- विशाल सिंह, डीपीआरओ