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ईवीएम एप द वोटिग मशीन से हुआ बाल संसद का गठन

जासं शाहगंज (सोनभद्र) परिदे परों से नहीं हौसलों से उड़ा करते हैं मन में अगर कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो बड़े से बड़ा काम छोटा दिखाई देने लगता है। ऐसा ही कुछ जज्बा गांधी फेलो पीरामल फाउंडेशन की ब्लाक को-ऑर्डिनेटर संस्कृति श्रीवास्तव ने कर दिखाया है। जहां पूरे देश में ईवीएम मशीन को लेकर तमाम राजनीतिक दलों के नेता सवालिया निशान उठाते रहते हैं

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Aug 2019 04:53 PM (IST)Updated: Sat, 17 Aug 2019 04:53 PM (IST)
ईवीएम एप द वोटिग मशीन से हुआ बाल संसद का गठन
ईवीएम एप द वोटिग मशीन से हुआ बाल संसद का गठन

जागरण संवाददाता, शाहगंज (सोनभद्र) : परिदे परों से नहीं हौसलों से उड़ा करते हैं, मन में अगर कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो बड़े से बड़ा काम भी छोटा दिखाई देने लगता है। ऐसा ही कुछ जज्बा  गांधी फेलो पिरामल फाउंडेशन की ब्लाक को-आर्डिनेटर संस्कृति श्रीवास्तव ने कर दिखाया है। जहां पूरे देश में ईवीएम मशीन को लेकर तमाम राजनीतिक दलों के नेता सवाल उठाते रहते हैं। वहीं घोरावल ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय शाहगंज में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए गांधी पिरामल फाउंडेशन ने ईवीएम एप द वोटिग मशीन से बाल संसद का गठन कर एक अनोखी पहल की है।

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ब्लाक को-आर्डिनेटर  संस्कृति श्रीवास्तव ने बताया कि ईवीएम ऐप द वोटिग मशीन से बाल संसद का गठन प्राथमिक विद्यालय शाहगंज में किया गया। शिक्षकों और गांधी फेलो पिरामल फाउंडेशन के संरक्षण में पूरी चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराई गई। बच्चों को नोटा का भी विकल्प दिया गया। इसका उद्देश्य विद्यालय में प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल का विस्तार कर शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करना था। बच्चों को भारतीय लोकतंत्र व्यवस्था का महत्व समझाना व सामाजिक विकास में मुख्य भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करना था। द जीरो पीरियड के कौशल विकास के लिए गांधी पिरामल फाउंडेशन ने नई पहल की है। इसमें बच्चों की रूचि के अनुसार अलग-अलग टीमों में विभाजित किया जाता है। स्कूल में पेटिग, स्पो‌र्ट्स, ध्वनि, भाषण कला और बागवानी, पौधारोपण के महत्व को समझाया गया। इससे बच्चों में कौशल के साथ-साथ लीडरशिप, सोचने और कल्पना करने की क्षमता विकसित  होती है। विद्यालय में एक कल्पना की दीवार भी बनाई गई है, जहां बच्चे कुछ भी लिखकर या बनाकर दीवार पर चिपका सकते हैं। बच्चों को महापुरुषों  व विद्वानों की बातें बताने के लिए एक कोटेशन कार्नर बनाया गया है। इन सब क्रियाओं से विद्यालय के बच्चों में भी जागरूकता आई है।


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