खतरनाक स्थिति में ऊर्जांचल का वायु प्रदूषण
देश के पावर हब के रुप में विख्यात सिगरौली तथा सोनभद्र का क्षेत्र अब अपनी पर्यावरणयी प्रदूषण की स्थिति को लेकर आंसू बहा रहा है।?यहां के रहवासियों को भयंकर प्रदूषण से आये दिन दो चार होना पड़ता है।
जासं, अनपरा (सोनभद्र) : देश के पावर हब के रूप में विख्यात सिगरौली तथा सोनभद्र का क्षेत्र अब अपनी पर्यावरणयी प्रदूषण की स्थिति को लेकर आंसू बहा रहा है।यहां के रहवासियों को भयंकर प्रदूषण से आये दिन दो चार होना पड़ता है। प्रदूषण की स्थिति इतनी भयावह होती जा रही है कि प्रदूषण जनित बीमारियों ने यहां अपने पांव पसार लिए हैं। खांसी, जुखाम, दमा, एलर्जी, दाद-खाज सहित अनेकों बीमारियां जो प्रदूषण के कारण अपना विकराल रूप ले रही है। महज ऊर्जा उत्पादन तथा विकास पर नजरें सभी की लगी हुई हैं। देश के तीसरे सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र का दर्जा रखने वाले सिगरौली रिजन (सोनभद्र-सिगरौली) में भी दिल्ली की तरह स्वास्थ्य आपातकाल के हालात बनने लगे हैं।
दिल्ली में तीन नवंबर को 494 वायु गुणवत्ता सूचकांक पर पहुंचा तो दिल्ली में खलबली मच गई। स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करते हुए एडवाइजरी जारी की गई। कई स्कूलों में बच्चों को मास्क भी उपलब्ध कराए गए। लेकिन, प्रदूषण पर सोनभद्र-सिगरौली में कोई पहल सामने नही आई। यहां की सिर्फ हवा ही नही, मिट्टी, पानी भी जहरीला होने की रिपोर्ट कई बार प्रकाश में आ चुकी है। सर्दी की शुरुआत में ही यह स्थिति है तो आगे चलकर कैसे हालात बनेंगे, इसकी चिता भी लोगों को सताने लगी है। मानव स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए वायु गुणवत्ता सूचकांक का भारतीय मानक 60 और विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से 25 निर्धारित है। इससे अधिक सूचकांक को स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माना जाता है। सौ तक का आंकड़ा कुछ हद तक संतोषजनक माना जाता है। वहीं यह आंकड़ा जब चार सौ के पार पहुंचता है तो पर्यावरण विशेषज्ञों की नजर में इसे मानव स्वास्थ्य के लिए आपातकाल माना जाता है।
सोनभद्र-सिगरौली स्थित बिजली परियोजनाओं से बिजली उत्पादन के लिए प्रतिवर्ष करोड़ों टन कोयला जलाया जाता है। आंकड़ों के मुताबिक इससे यहां के वायुमंडल में हर साल 6500 टन श्वसनीय घुनकण, 79,017 टन सल्फर डाई आक्साइड, 89,948 टन नाइट्रोजन आक्साइड, 14.169 टन पारा घुलता है, जो मानव स्वास्थ्य पर विभिन्न बीमारियों के रूप में प्रभाव डालता है।