गढ़वा-चोपन रेलखंड पर जल्द दौड़ेंगी इलेक्ट्रिक ट्रेनें
देश के व्यस्ततम ओद्यौगिक मालवाहक रेल मार्गों में शुमार गढ़वा-चोपन-¨सगरौली मार्ग पर इलेक्ट्रिक ट्रेनों के आवागमन के लिए अनुकूल स्थिति बनते जा रही हैं। उम्मीद है कि वर्ष के अंत अथवा आगामी वर्ष के प्रथम माह तक इस रेलखंड के सबसे बड़े रेलवे स्टेशन चोपन तक इलेक्ट्रिक ट्रेनों का संचालन शुरू हो जायेगा।
जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र): देश के व्यस्ततम ओद्यौगिक मालवाहक रेल मार्गों में शुमार गढ़वा-चोपन-¨सगरौली मार्ग पर इलेक्ट्रिक ट्रेनों के आवागमन के लिए अनुकूल स्थिति बनती जा रही हैं। उम्मीद है कि वर्ष के अंत अथवा आगामी वर्ष के प्रथम माह तक इस रेलखंड के सबसे बड़े रेलवे स्टेशन चोपन तक इलेक्ट्रिक ट्रेनों का संचालन शुरू हो जाएगा। फिलहाल अभी रेणुकूट तक इलेक्ट्रिक ट्रेनें चलाई जा रही हैं।
इससे पहले पिछले वर्ष परीक्षण के तौर पर गढ़वा से मेराल ग्राम तक इलेक्ट्रिक ट्रेन चलाई गई थी। उसके बाद इसे रेणुकूट तक बढ़ा दिया गया है। धनबाद रेल मंडल के सीनियर डीसीएम आशीष कुमार झा ने बताया कि अगले दो-तीन महीने में चोपन तक इलेक्ट्रिक ट्रेन चलने लगेंगी। ¨सगरौली तक भी अगले वर्ष इलेक्ट्रिक ट्रेन संचालन शुरू करने की कवायद की जा रही है। विद्युतीकरण से बढ़ सकता है राजस्व
गढ़वा-¨सगरौली रेलखंड पर विद्युतीकरण के बाद धनबाद मंडल के राजस्व में भारी वृद्धि की संभावना है। फिलहाल पिछले वित्त वर्ष में धनबाद मंडल ने पूरे देश में सर्वाधिक राजस्व प्राप्ति में पुन: दूसरे स्थान पर कब्जा जमाकर जहां अपनी धाक जमाई है वहीं 123 मिलियन टन लो¨डग कर नया इतिहास रचा है। धनबाद डिवीजन ने तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपने सभी पुराने कीर्तिमान को ध्वस्त करते हुए 15,951 करोड़ रुपये के करीब राजस्व अर्जित किया है। वित्त वर्ष 2016-17 के मुकाबले 2017-18 में 12 एमटी अधिक लो¨डग हुई जबकि राजस्व आय में 2017 के मुकाबले करीब साढ़े चार हजार करोड़ रुपये का इजाफा हुआ। 100 किमी प्रति घंटा होगी ट्रेनों की रफ्तार
गढ़वा-चोपन-¨सगरौली रेलखंड के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। रेल ट्रैक के जीर्णोद्धार, विद्युतीकरण एवं दोहरीकरण की प्रक्रिया के पूरा होने के बाद इस मार्ग पर 100 किमी प्रति घंटा की गति से ट्रेनें दौड़ सकेंगी। पूर्व-मध्य रेलवे के धनबाद मंडल के अंतर्गत आने वाले इस मार्ग पर विद्युतीकरण के साथ सिग्नल के आधुनिकीकरण का कार्य भी चल रहा है। छह फेज में आधुनिकीकरण का कार्य बांटा गया है। हालांकि चोपन से ¨सगरौली के बीच भौगोलिक दुर्गमताओं के कारण दोहरीकरण की प्रक्रिया में देरी की संभावना है। इस हिस्से में दर्जनों पुल बनाने के साथ कई बड़ी पहाड़ियों ने कार्य की समय सीमा को बढ़ाया है। खासकर पुराने ट्रैक के समानांतर दूसरे ट्रैक के समतलीकरण का कार्य काफी कठिन माना जा रहा है। बीते मानसून सत्र के दौरान कई जगहों पर समतलीकरण के लिए लाई गई मिट्टी के बहने का मामला सामने आया है। दोहरीकरण के लिए 2675.64 करोड़
रमना-¨सगरौली के बीच 160 किलोमीटर लंबी इस लाइन के दोहरीकरण पर 2675.64 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसके 2019-20 तक पूरा होने की संभावना है। धनबाद डिवीजन की यह लाइन झारखंड में गढ़वा, मध्य प्रदेश में ¨सगरौली तथा उत्तर प्रदेश में सोनभद्र जिलों से गुजरती है। अभी इस ¨सगल लाइन पर 105 फीसद यातायात घनत्व है जिससे ट्रेनों में विलंब होता है।