पढ़ाई व सुरक्षा को रखे प्राथमिकता पर , मोबाइल रहे संतुलित
चूंकि जीवन में पढ़ाई व सुरक्षा दोनों प्राथमिक हैं। ऐसे में मोबाइल की उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता लेकिन संतुलन तो बैठाया ही जा सकता है।
जासं, सोनभद्र : उच्च शिक्षा निदेशालय ने कालेजों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। ऐसे में सोनांचल के महाविद्यालयों में भी इसका असर क्या है, कैसे यहां के प्रबंधक, प्रधानाचार्य या शिक्षक रोक लगा पाएंगे इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है। चूंकि जीवन में पढ़ाई व सुरक्षा दोनों प्राथमिक हैं। ऐसे में मोबाइल की उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता लेकिन, संतुलन तो बैठाया ही जा सकता है।
दैनिक जागरण ने जब पड़ताल की तो सबकी राय यही रही कि कालेज में मोबाइल के साथ प्रवेश तो हो लेकिन, उसका मोड साइलेंट या स्विच आफ रहे। क्योंकि पढ़ाई के दौरान बार-बार फोन आना, मैसेज आना ध्यान को भटकता है। यह छात्रों के लिए ठीक नहीं है। कॉलेज में जहां-तहां मोबाइल निकालकर बात करने वाले शिक्षकों पर भी रोक लगनी जरूरी है। वैसे उच्च शिक्षा निदेशालय का यह प्रयास, यह पहल हर किसी को पसंद है। खोए-खोए रहने लगते हैं मेधावी छात्र
छात्र हो या छात्रा उसके अंदर प्रतिभा जरूर होती है। हां, यह बात अलग है कि हर छात्र-छात्रा में सोचने, समझने की क्षमता में अंतर होता है। लेकिन, अगर कोई छात्र-छात्रा मोबाइल का इस्तेमाल अधिक करता है तो उसका दिमाग धीरे-धीरे एक समय के बाद सुस्त होने लगता है। हमने अपने कार्यकाल में एक अनुभव किया कि जो छात्र या छात्रा स्मार्टफोन से थोड़ा दूर है या उसे इसकी लत नहीं लगी है वह पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देता है। उसके हाथ में किताब होती है। अगर किताब नहीं भी होती है तो उसके चेहरे पर एक अलग तरह की रौनक होती है। इस लिए मोबाइल का आदी होना ठीक नहीं। उच्च शिक्षा निदेशालय ने जो नियम बनाए हैं उससे छात्र-छात्राओं का भविष्य बेहतर होगा। कालेज स्तर की पढ़ाई करने वाली छात्राएं कुछ हद तक परिपक्व हो जाती हैं। इस लिए उन्हें मोबाइल पूरी तरह से न देने का फैसला ठीक नहीं। क्योंकि उन्हें रास्ते में कभी-कभी कई तरह की समस्याएं आती हैं। उन्हें अपने अभिभावक से संपर्क करना होता है। लेकिन, कालेज समय में पढ़ाई के दौरान मोबाइल का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। शिक्षकों को भी स्टॉफ रूम में ही मोबाइल इस्तेमाल करना चाहिए। जल्द ही हम अपने कॉलेज में इसके लिए जरूरी सूचना निकालेंगे।
- डा. वत्सला दयाल, प्राचार्य, राजकीय महिला महाविद्यालय, राबर्ट्सगंज
...........
सफलता को मोबाइल नहीं किताब
से करें दोस्ती
सफलता के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति, कड़ी मेहनत और नियम, संयम जरूरी होता है। आज के परिवेश में मोबाइल जरूरत है तो बर्बादी का कारण भी। इसका अगर सही और समय से इस्तेमाल किया जाए तो निश्चित तौर पर यह सदुपयोग की श्रेणी में आएगा। लेकिन, अगर उसी का इस्तेमाल गलत समय पर, जरूरत से ज्यादा समय तक या स्कूल कालेज में पढ़ाई के दौरान किया जाए तो यह ठीक नहीं होता। किसी भी छात्र या छात्रा की सफलता के लिए मोबाइल नहीं बल्कि किताब की दोस्ती जरूरी है। हर छात्र-छात्रा को किताब से दोस्ती करनी चाहिए। मेरे कहने मतलब यह कतई नहीं कि डिग्री स्तर के छात्र-छात्राओं को मोबाइल न दिया। उन्हें मोबाइल दिया जाए लेकिन वे कब इस्तेमाल करें, कितनी देर इस्तेमाल करें इसपर शिक्षकों, संबंधित स्कूलों के प्राचार्य व अभिभावकों का ध्यान होना जरूरी है। जब छात्र या छात्रा स्कूल समय में मोबाइल इस्तेमाल करेगा तो भले फोन न आए, मैसेज न आए लेकिन उसका ध्यान हमेशा उसी मोबाइल पर लगा रहता है। यह सोचता है कि कहीं किसी का मैसेज, फोन तो नहीं आया। इस स्थिति में वह गंभीरता से अपने विषयों पर ध्यान नहीं दे पाता। हमने अपने कॉलेज में सुबह दस से शाम चार बजे तक मोबाइल के इस्तेमाल पर प्रतिबंध पहले से ही लगा रखा है। जरूरी बात करने के लिए कुछ खास नंबर जारी किए गए हैं। उन्हीं नंबरों पर छात्रों के अभिभावक बात कर सकते हैं। उच्च शिक्षा निदेशालय का फैसला सराहनीय है।
- डा. संजय कुमार सिंह, प्राचार्य, जेएसपी महाविद्यालय, कसयां कला