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गोशाला में चारा नहीं, एसडीएम दफ्तर में धूल फांक रही फाइल

जागरण संवाददाता सोनभद्र घोरावल ब्लाक के ग्राम पंचायत कर्रीबरांव के अस्थाई गोशाला में गौवंशियों के लिए चारा नहीं है और वे भूख से तड़फड़ा रहे है। वहीं दूसरी तरफ इस गोशाला के गौवंश के खान-पान की पत्रावली उपजिलाधिकारी कार्यालय में धूल फांक रही है। प्रधान के दबाव बनाने पर बीडीओ ने चुप्पी तोड़ते हुए एसडीएम को पत्र भेजकर खानपान पत्रावली को निस्तारित करने की अपील की है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Jul 2019 07:27 PM (IST)Updated: Sat, 27 Jul 2019 06:29 AM (IST)
गोशाला में चारा नहीं, एसडीएम दफ्तर में धूल फांक रही फाइल
गोशाला में चारा नहीं, एसडीएम दफ्तर में धूल फांक रही फाइल

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : घोरावल ब्लाक के ग्राम पंचायत करीबरांव के अस्थाई गोशाला में गोवंशियों के लिए चारा नहीं है और वे भूख से तड़फड़ा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ इस गोशाला के गोवंश के खाने के लिए भूसा आदि के इंतजाम के लिए पत्रावली उपजिलाधिकारी कार्यालय में धूल फांक रही है। प्रधान के दबाव बनाने पर बीडीओ ने चुप्पी तोड़ते हुए एसडीएम को पत्र भेजकर भूसा आदि की पत्रावली को निस्तारित करने का अनुरोध किया है।

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करीबरांव गांव में चरागाह की भूमि पर अस्थाई गोशाला का निर्माण कराया गया है। शासन की मंशा के मुताबिक प्रधान देवेश मिश्रा ने गोशाला में हैंडपंप, टीनशेड आदि का निर्माण कराकर उसका संचालन तो करा दिया लेकिन उसके विस्तारीकरण या मवेशियों के खान-पान का इंतजाम नहीं किया गया। प्रधान ने इस संबंध में कई बार खंड विकास अधिकारी को पत्र भी लिखा। पत्राचार के दौरान ही गोशाला का स्थलीय निरीक्षण करने पशु विभाग की एक टीम 24 जुलाई को पहुंच गई। टीम में शामिल मुख्य चिकित्साधिकारी पशु डा. एके श्रीवास्तव व उपमुख्य चिकित्साधिकारी पशु डा. जय सिंह ने वहां के हालात देक भौचक्क रह गए। गोशाला तक पहुंचने के लिए कोई मार्ग ही नहीं है। टीनशेड व चरही भी अपर्याप्त रही। जिसकी वजह से मवेशी भींगकर बीमार हो रहे हैं। गोशाला का निर्माण बेलन नदी के किनारे किया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि हर साल बरसात में चरागाह की जमीन तालाब बन जाती है। हैंडपंप तो लगा है लेकिन उसमें सोलर पंप न लगने की वजह से पर्याप्त पानी भी नहीं मिल रहा है। गोशाला में भूसा गोदाम भी नहीं है। मौके पर महज दस किग्रा भूसा ही मिला, जबकि इस गोशाला में गोवंशियों की तादाद 60 है। पशु चिकित्सा विभाग की जांच रिपोर्ट जब डीएम तक पहुंची तो बखेड़ा हो गया। डीएम ने पूछताछ शुरू की तो अफसरों ने एक दूसरे पर मामला टालना शुरू दिया। खंड विकास विकास अधिकारी घोरावल ने 25 जुलाई को उपजिलाधिकारी घोरावल को एक पत्र भेजकर गेंद एसडीएम के पाले में डाल दी। पत्र में लिखा गया है कि गोवंश के खान-पान से संबंधित पत्रावली भुगतान के लिए आपके (एसडीएम) यहां लंबित है। बिना आपके सहमति के धन अवमुक्त नहीं हो सकता। व्यस्तता के कारण आप पत्रावली का अवलोकन नहीं कर सके हैं। बीडीओ ने एसडीएम से पत्रावली के निस्तारण की अपील की है।


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