घरों में मना बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व दशहरा
-नहीं लगे मेले घरों में बचे ही बने राम जलाए रावण के सांकेतिक पुतले
जागरण संवाददाता, मऊ : कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार दशहरा का मेला नहीं लगा और न ही रावण के विशालकाय रावण के पुतलों का दहन हुआ। स्वतंत्रत भारत में पहली बार विजयादशमी के अवसर पर लगने वाले मेले, रामलीला और रावण दहन का आयोजन नहीं हुआ। जहां हजारों लोगों की भीड़ इकट्ठा होती थी, वहां सन्नाटा छाया रहा। मेले का इंतजार कर रहे बच्चे निराश रहे। फिर भी लोगों ने बुराई पर अच्छाई, अधर्म पर धर्म, अन्याय पर न्याय की विजय का पर्व घरों में ही धूम से मनाया। बच्चों ने घरों पर ही राम-लक्ष्मण की भूमिका निभाई और अपने धनुष-बाण से रावण के प्रतीकात्मक पुतले का वध कर पर्व का आनंद लिया। अभिभावकों ने बाजार से मिठाइयां व खिलौने लाकर मेले की परंपरा को निभाया।
कोपागंज प्रतिनिधि के अनुसार विजयदशमी पर पर सुबह से ही बिकने वाला मेला इस बार नहीं लगा। रंग बिरंगे खिलौने की दुकानें नहीं लगने से बच्चे निराश रहे। घरों में ही कोरोना काल में देखे गए रामायण धारावाहिक व अयोघ्या की रामलीला की नकल उतार उन्होंने रावण वध का स्वयं अभिनय कर आनंद लिया। हालांकि कि नवरात्र में दुर्गा मंदिरों में और नगर क्षेत्र के कुछ स्थानों पर दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना के बाद बाजार में थोड़ी रौनक जरूर दिखी लेकिन विजयादशमी के दिन मेला और रावण दहन का आयोजन न होने से त्योहार का उत्साह फीका रहा।
दशहरा रहा फीाक, नहीं लगा मेला
जागरण संवाददाता, मुहम्मदाबाद गोहना (मऊ) : हर वर्ष की भांति इस वर्ष दशहरा पर्व सभी क्षेत्र वासियों के लिए फीका रहा। प्रत्येक वर्ष आजमगढ़-मऊ मुख्य मार्ग पर स्थित ग्राम बनियापार, गुरादरी धाम करहां, सुरहुरपुर, देवरानी-जेठानी पोखरा जमालपुर आदि जगहों पर लगने वाले मेले कोविड-19 के चलते नहीं लग सके। इससे इस वर्ष क्षेत्रीय लोगों के लिए दशहरा पर्व काफी फीका रहा। लोगों ने घरों में ही टीवी की रामलीला और रावण वध का मंचन देख आनंद उठाया और तरह-तरह के व्यंजन बनाकर खाकर पर्व का आनंद लिया।