सीवीओ दफ्तर केपास गंदगी, पशु अस्पताल भी बदहाल
मुख्यमंत्री का फरमान है कि सभी सरकारी दफ्तरों को स्वच्छ रखा जाए वहां साफ-सफाई के बेहतर इंतजाम होने चाहिए। दफ्तर में जाने वाली जनता को किसी तरह की परेशान न होने पाए। सुबह साढ़े नौ बजे से ही अधिकारी जनता की समस्याओं को सुने और उनका निस्तारण करें। लेकिन अगर किसी दफ्तर में चारो तरफ बालू गिट्टी व गंदगी ही गंदगी दिखे तो वहां जनता तो क्या कर्मचारी खुद असहजता महसूस करेंगे। ऐसा हाल है जिले के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी कार्यालय की। वहीं पर एक पशु चिकित्सालय भी चलता है। यहां चल रहे निर्माण कार्य में सुस्ती के कारण दफ्तर की रौनक धूमिल है। पशु अस्पताल भी बदहाल स्थिति में है।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : मुख्यमंत्री का फरमान है कि सभी सरकारी दफ्तरों को स्वच्छ रखा जाए, वहां साफ-सफाई का बेहतर इंतजाम होने चाहिए। अस्पताल व दफ्तर में जाने वाली जनता को किसी तरह की परेशान न होने पाए। सुबह साढ़े नौ बजे से ही अधिकारी जनता की समस्याओं को सुने और उनका निस्तारण करें, लेकिन अगर किसी दफ्तर में चारों तरफ बालू, गिट्टी व गंदगी ही गंदगी दिखे तो वहां जनता तो क्या कर्मचारी खुद असहज महसूस करेंगे। यह हाल है जिले के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी कार्यालय की। वहीं पर एक पशु चिकित्सालय भी चलता है। यहां चल रहे निर्माण कार्य में सुस्ती के कारण दफ्तर की रौनक धूमिल है। पशु अस्पताल भी बदहाल स्थिति में है।
दैनिक जागरण की टीम ने मंगलवार को आफिस लाइव कार्यक्रम के तहत जब मुख्य पशु चिकित्साधिकारी कार्यालय पहुंची तो यहां की बदहाली कैमरे में कैद हुई। परिसर में भरा पानी और जगह-जगह रखे बिल्डिग मैटेरियल के कारण कर्मचारियों के साथ ही यहां आने वाली जनता को भी परेशानी होती है। हाल यह है कि जब कभी कोई पशु कृत्रिम गर्भाधान के लिए आता है तो उसे सड़क पर ही बांधकर कराया जाता है। निर्माण की वजह से कर्मचारी भी अपने को असहाय महसूस करते हैं। कार्यालय के अंदर तो सबकुछ ठीक-ठाक है लेकिन टूटी बिजली की वायरिग खतरे की घंटी बजाती है। कब शार्ट सर्किट हो जाएगी कुछ नहीं कहा जा सकता। हालांकि यहां के कर्मचारी समय से आते हैं। मंगलवार को मुख्य पशु चिकित्साधिकारी एके श्रीवास्तव जिलाधिकारी के यहां गए थे। बाकी सभी लोग उपस्थित मिले। समय से नहीं पूरा हुआ निर्माण कार्य
पशु अस्पताल व मुख्य पशु चिकित्सालय का नया भवन बनाया जा रहा है। करीब एक साल से इसका निर्माण चल रहा है। नियम से तो अब तक निर्माण पूर्ण हो जाना चाहिए था लेकिन अभी काफी कार्य बाकी हैं। करीब 40 लाख रुपये की लागत से हो रहे निर्माण के लिए कार्यदायी संस्था को पूरी धनराशि भी दी जा चुकी है। अधिकारी बताते हैं कि भुगतान कर दिया गया है। अब निर्माण पूर्ण हो जाना चाहिए था। समय पर निर्माण पूर्ण न होने पर कार्यदायी संस्था को पत्र भी लिखा गया है कि समय से कार्य पूर्ण करें। कंपाउंडर के ज्यादातर पद रिक्त
पशु चिकित्सा विभाग में वैसे तो ज्यादा पद रिक्त नहीं है लेकिन इतना जरूर है कि कंपाउंडरों के पद काफी ज्यादा रिक्त हैं। इस वजह से चिकित्सकों को पशुओं के इलाज में कोई सहयोगी नहीं मिल पाता। चिकित्सक मानते हैं कि अगर सहयोगी मिले तो क्षेत्र में भी जाकर पशुओं का इलाज किया जा सकता है। बोले अधिकारी
मैं जरूरी काम से सुबह साढ़े आठ बजे ही कार्यालय पहुंच गया था। पत्र बनवाने के बाद जिलाधिकारी के यहां जरूरी पत्रावलियों पर हस्ताक्षर करवाने चला गया था। परिसर में जो निर्माण चल रहा है उसे नियम से तो पूर्ण हो जाना चाहिए था। कार्यदायी संस्था को इस संबंध में पत्र भी भेजा गया था।
- डा. एसके श्रीवास्तव, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी। आंकड़े
जिले में पशुओं की संख्या : 1033034
पशु चिकित्सालयों की संख्या : 24
कुल चिकित्सकों की संख्या : 24
पशुधन प्रसार केंद्र : 18
पशुधन प्रसार अधिकारी : 17
कम्पाउंडर के सृजित पद : 19
रिक्त कम्पाउंडर के पद : 14