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पिडदान कर पितरों को किया विदा, कराया भोजन

जागरण संवाददाता सोनभद्र पितृ पक्ष के अंतिम दिन गुरुवार को पूजकों (वंशजों) ने विधि-विधान से प

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 06:57 PM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 06:57 PM (IST)
पिडदान कर पितरों को किया विदा, कराया भोजन
पिडदान कर पितरों को किया विदा, कराया भोजन

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : पितृ पक्ष के अंतिम दिन गुरुवार को पूजकों (वंशजों) ने विधि-विधान से पूजन कर पिडदान किया। राब‌र्ट्सगंज नगर स्थित राम सरोवर, अकड़हवा पोखरा, बढ़ौली पोखरा, पुसौली पोखरा आदि जलाशयों के किनारे सुबह से ही पूजकों की भीड़ लगनी शुरू हो गई। मुंडन कराकर पूजकों द्वारा पितरों के लिए पिडदान किया गया। इस दौरान पुरोहितों को भोजन व सहभोज का भी कराया गया। दानादि करके पूजकों ने सर्वमंगल की कामना की।

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अश्विन मास प्रारंभ होते ही पितृ पक्ष शुरू हो जाता है। सामाजिक परंपराओं के अनुसार इस दौरान 15 दिनों तक पूर्वज पशु-पक्षी के वेश धारण कर अपने वंशजों का हालचाल लेने पृथ्वी पर आते हैं। लोगों द्वारा एक पखवारे तक प्रतिदिन स्नान-ध्यान से निवृत होकर पूर्वजों को तर्पण किया जाता है। अमावस्या के दिन जलाशयों के किनारे अपने पूर्वजों को पिण्डदान कर उन्हें एक वर्ष के लिए विदा कर अपने कुल की रक्षा एवं सुख-समृद्धि हेतु प्रार्थना करते हैं। इस दौरान पंडितों व नाई की दुकानों पर भारी भीड़ उमड़ी।

शक्तिनगर : पूर्वजों के प्रति श्रद्धांजलि का पर्व पितृपक्ष गुरुवार को ऊर्जांचल में आस्था पूर्वक मनाया गया। भारतीयों ने पूवजों के प्रति कृतज्ञता अर्पित करने की जो यह अनुपम व्यवस्था है। वह विश्व के किसी अन्य सभ्यता में उपलब्ध नहीं है। पितृपक्ष में स्वर्ग लोक से धरती पर आए पितरों को नदी, जलाशय, झरने के पास गुरुवार को धार्मिक विधि-विधान से पिडदान कर विदा किया गया। पशु, पक्षी को जहां लोग भोजन कराए वहीं गरीबों, ब्राह्मणों को दान किया। क्षेत्र के रिहंद जलाशय, चिल्काझील, ज्वालामुखी झरना, अनुष्ठानिक तालाब के किनारे अपने पूर्वजों को पिण्डदान किया।


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